बिहार में पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की छात्राओं को निशुल्क शिक्षा देने के निर्णय पूरी तरह से लागू नहीं होने पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की खंडपीठ ने रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और सभी विश्वविद्यालय के प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। चार सप्ताह के बाद मामले पर हाईकोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई होगी। हाईकोर्ट को पूरे मामले पर बताया गया कि राज्य सरकार ने 24 जुलाई 2015 को ही निर्णय कर लिया था कि कक्षा एक से स्नाकोत्तर तक की पढ़ाई इस श्रेणी की छात्राओं को राज्य सरकार मुफ्त में करायेगी। इन छात्राओं प्रवेश और शिक्षा का खर्च राज्य सरकार खुद उठायेगी। बाद में फंड नहीं मिलने पर कॉलेज और विश्वविद्यालय ने इस श्रेणी के छात्राओं से फीस लेकर प्रवेश दिया। इसको हाईकोर्ट ने बहुत ही गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और सभी विश्वविद्यालयों को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।