मध्य प्रदेश के कान्हा बाघ अभयारण्य से ओडिशा के सातकोशिया में लाए गए बाघ की अस्वाभिक परिस्थिति मौत हो गई। इसकी सूचना सातकोशिया वन विभाग की ओर से दी गई है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ के गर्दन पर एक गहरा लालसा और पांच दिन पुराने संक्रमित घाव की वजह उसकी मौत का कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि सातकोशिया में बाघों के वंशों की वृद्धि के लिए कान्हा बाघ अभयारण्य से युवा बाघ को लाया गया था। उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उसके गर्दन में एक रेडियो कोलार लगाया गया था। हर दिन की तरह बुघवार को जब वह नुआगड़ संरक्षण जंगल के भीतर घुम रहा था तो उसकी गतिविधियों के लिए लगाए गए रेडियो कोलार से जो संकेत मिला वह काफी आश्चर्यचकित करने वाला था। उन्होंने बताया कि काफी समय तक जब उसकी गतिविधियों के बारे में कोई ठोस संकेत नहीं मिले तो वन विभाग को संदेह होने लगा। जिसके बाद उसकी जांच में पता चला कि उसकी हालत ठीक नहीं है। घने जंगल में जब उसकी खोज हुई तो उसका शव बरामद किया गया।
सूत्रों ने बताया कि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों समेत राज्य के बाहर से आए डॉक्टरी टीम ने जहां से बाघ का शव मिला था वहां वे लोग पहुंच कर जांच-पड़ताल करने में जुट गए।
अन्य एक अधिकारी ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के बाद ही उसकी मौता के बारे में पता चल पाएगा। लेकिन उसके गर्दन में पुराने संक्रमित घाव की वजह से उसके मौत होने का संदेह किया जा रहा है।
वन विभाग के अन्य एक अधिकारी ने बताया कि सायद शिकारियों की जाल से बच निकलने कारण उसके गर्दन में घाव हो गया। जो बाद में संक्रमण का कारण बन गया। जिसकी वजह से बाघ की मौत होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा में बीते तीन सप्ताह के अंदर यह दूसरे बाघ की मौत होने की खबर है। अक्टूबर महीने में ही देब्रिगढ़ अभयारण्य से एक नर बाघ का कंकाल बरामद किया गया था। इस मामले की जांच में जुटी अपराध शाखा ने चार शिकारियों को गिरफ्तार भी किया था।