पिछले 3 साल से समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली राशि मे बिहार को निराशा हाथ लग रही है। एनडीए की सरकार में बिहार को वर्ष 2020-21 के समग्र शिक्षा अभियान मद की राशि को लेकर केंद्र ने फिर से झटका दिया है। बिहार को मांग की तुलना में केंद्र से महज 39 प्रतिशत राशि की स्वीकृति प्रदान की गई है जो कि राज्य सरकार में चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि समग्र शिक्षा अभियान (SSA) मद में बिहार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 16514 करोड़ राशि की मांग की थी और अपनी जरूरतें बताई थीं। लेकिन केंद्र ने मात्र 6380 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। यानि 10 हजार करोड़ राशि की केंद्र ने सीधे तौर पर कटौती कर दी। बता दें कि आरटीई के तहत शिक्षकों को तय वेतन देने के लिए सरकार ने प्रस्ताव रखा था। जिसको 30 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से राज्य ने 10 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन शिक्षकों के वेतन मद में मात्र 3400 करोड़ रुपये की ही स्वीकृति दी गयी। जबकि केंद्र ने कक्षा 1 से 5 तक के शिक्षकों के लिए भी महज 15 हजार राशि की स्वीकृति दी। वहीं, कक्षा 6 से 8 तक के शिक्षकों के लिए 20 हजार रुपए प्रतिमाह की स्वीकृति दी। आरटीई के तहत पोशाक मद में भी बिहार को मात्र 1400 करोड़ रुपये मिले। जबकि जेंडर इक्वेलिटी मद में केंद्र ने 299 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। वहीं शिक्षक प्रशिक्षण मद मे 2.57 करोड़ मिला है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार से राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के एसपीडी संजय सिंह ने बजट के लिए प्रस्ताव रखा था। हैरानी की बात तो ये है कि चुनावी साल है और पहले से शिक्षकों के वेतनमान को लेकर सरकार राशि का रोना रो रही है लेकिन अब आरटीई के तहत तय मानकों पर जो राशि केन्द्र से मिलने की उम्मीदें थी उस पर भी पानी फिर गया है और एक बार फिर राज्य के प्रस्ताव को हू बहू केंद्र ने स्वीकृत करने से इनकार कर दिया जिससे कि 61 प्रतिशत केन्द्रांश की राशि की कमी बिहार को झेलनी पड़ेगी। इससे पहले भी विगत तीन साल से तय प्रस्ताव से 40 से 70 प्रतिशत राशि शिक्षा के मद में केंद्र कटौती करते आ रही है।