ओडिशा की पहली सेमीकंडक्टर यूनिट का शिलान्यास

  • Nov 01, 2025
Khabar East:Foundation-stone-for-Odishas-first-semiconductor-unit-worth-Rs-2067-crore-laid-in-Bhubaneswar-project-to-generate-5000-jobs
भुवनेश्वर,01 नवंबरः

ओडिशा की पहली कंपाउंड सेमीकंडक्टर परियोजना का शिलान्यास शनिवार को इंफोवैली, जटनी (भुवनेश्वर) में किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह में भाग लिया, जबकि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और ओडिशा के आईटी मंत्री मुकेश माहलिग स्थल पर उपस्थित रहे।

रिपोर्ट के अनुसार, यह परियोजना SiCSem Private Limited द्वारा स्थापित की जा रही है और यह ओडिशा के औद्योगिक एवं तकनीकी विकास के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। कंपनी इस सेमीकंडक्टर निर्माण यूनिट की स्थापना में 2,067 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। परियोजना के तहत लगभग 5,000 रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है। यह पहल राज्य सरकार की उन्नत विनिर्माण और नवाचार-आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

 यह सेमीकंडक्टर परियोजना भारत सरकार के मेक इन इंडियाऔर डिजिटल इंडियाजैसे राष्ट्रीय अभियानों के लक्ष्यों के अनुरूप है, जिनका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना है। सेमीकंडक्टर मोबाइल फोन, कंप्यूटर, और अन्य डिजिटल उपकरणों के मुख्य घटक होते हैं। इनसे ट्रांजिस्टर, डायोड, और इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) तैयार किए जाते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

 इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन माझी ने कहा कि आज ओडिशा के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि राज्य में पहली बार सेमीकंडक्टर यूनिट की आधारशिला रखी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत किसी भी देश से पीछे नहीं है।

 केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डबल इंजन सरकार के प्रयासों से ओडिशा में रेलवे, हाईवे, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और सेमीकंडक्टर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तेज़ी से विकास हो रहा है। जल्द ही आईआईटी भुवनेश्वर में एक सेमीकंडक्टर रिसर्च लैब भी स्थापित की जाएगी।

वर्तमान में भारत को सेमीकंडक्टर घटकों के लिए चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। भुवनेश्वर में इस यूनिट की स्थापना से इस निर्भरता में कमी आएगी और देश में घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना न केवल ओडिशा की तकनीकी क्षमता को सुदृढ़ करेगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी अहम योगदान देगी।

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