छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में चोरी के आरोप में गिरफ्तार 19 वर्षीय युवक की पुलिस कस्टडी में हुई मौत से पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया है। मृतक उमेश सिंह के परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए एक करोड़ रुपये मुआवजे और दोबारा पोस्टमॉर्टम कराने की मांग की है। परिजनों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सीतापुर एसडीएम को मंगलवार काे सौंपा। इसके बाद परिजन मंगलवार की देर शाम पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के साथ सरगुजा रेंज के आईजी दीपक कुमार झा से मिले। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने और निष्पक्ष जांच की मांग की। आईजी ने परिजनों को भरोसा दिलाया कि यदि वे लिखित में दोबारा पोस्टमॉर्टम की मांग करेंगे तो कोर्ट से अनुमति लेकर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल जांच पूरी होने तक चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। रविवार को पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस ने उमेश सिंह का शव बतौली भेजा था, लेकिन परिजन शव लेने से मना करते रहे। विरोध के चलते शव को बलरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मॉर्च्युरी में रखवाया गया। सोमवार को परिजनों ने थाने के बाहर सड़क जाम करने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने बलपूर्वक हटाया। मंगलवार को भी परिजनों ने प्रदर्शन जारी रखा। 30 और 31 अक्टूबर की दरमियानी रात बलरामपुर के धनंजय ज्वेलर्स में 50 लाख रुपये से अधिक के जेवर और साढ़े तीन लाख रुपये नकद चोरी हुए थे। पुलिस ने इस मामले में सीतापुर इलाके के नौ लोगों को पकड़ा था। इन्हीं में से एक नकना गांव निवासी उमेश सिंह की रविवार को पुलिस हिरासत में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हिरासत के दौरान उमेश को लोहे के पंजे और डंडों से पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। वहीं पुलिस का दावा है कि युवक सिकल सेल की बीमारी से पीड़ित था और उसी की वजह से उसकी मौत हुई।
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने जितनी नकदी और ज्वेलरी बरामद होने की बात कही है, वास्तव में उससे कहीं अधिक माल जब्त किया गया था। ग्रामीणों ने जांच की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार मृतक उमेश सिंह उर्फ दिनेश सिंह के खिलाफ पहले भी चोरी के कई मामले दर्ज हैं। वह कुख्यात नट गिरोह से जुड़ा था। उसके पिता हीरू उर्फ फेंकू बादी भी निगरानीशुदा बदमाशों की सूची में शामिल है और कई मामलों में नामजद आरोपी रहा है।
परिजनों ने साफ कहा है कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज नहीं होता और निष्पक्ष पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जाता, वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि वे बेटे की मौत को सामान्य घटना बनकर दबने नहीं देंगे। कस्टडी डेथ का यह मामला अब बलरामपुर से निकलकर पूरे सरगुजा संभाग में चर्चा का विषय बन गया है। पुलिस बीमारी से मौत बता रही है, जबकि परिजन इसे हिरासत में हत्या मान रहे हैं। अब न्यायिक जांच ही तय करेगी कि सच किस ओर है।