लोकायुक्त के पद खाली होने से भ्रष्टाचार के 1700 से अधिक केसों की सुनवाई ठप

  • Jul 27, 2021
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रांची,27 जुलाईः

झारखंड में लोकायुक्त का कार्यालय चार दिसंबर 2004 से काम कर रहा है। यहां लोकायुक्त की नियुक्ति पांच साल के लिए की जाती है। हाईकोर्ट के सेवानिवृत जस्टिस लक्ष्मण उरांव पहले लोकायुक्त बनाये गये थे। इसके बाद अमरेश्वर सहाय दूसरे लोकायुक्त बने। इनके बाद जस्टिस डीएन उपाध्याय को तीसरे लोकायुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। कोरोना की वजह से 29 जून को उनका निधन हो गया। इसके बाद से लोकायुक्त का पद खाली है। लोकायुक्त कार्यालय के सचिव संजय कुमार के अनुसार लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई और जजमेंट का काम नहीं हो रहा है। बाकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं। बहरहाल नये लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है। जाहिर तौर पर राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई फिलहाल खटाई में पड़ता हुआ दिख रहा है।

 गौरतलब है कि राज्यकर्मियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ सैकड़ों मामले दर्ज हैं, जिसकी सुनवाई फिलहाल ठप है। तत्कालीन लोकायुक्त ने वित्तीय गड़बड़ी व भ्रष्ट तरीके से अर्जित की गयी संपत्ति के मामले में लगभग 40 लोकसेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। 68 लोकसेवकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने की अनुशंसा की गयी थी। पिछले पांच वर्षों में 3,361 से अधिक मामले लोकायुक्त के पास आये। इसमें से 2,200 से अधिक मुकदमों का निष्पादन हो चुका है। इनमें से अधिकतर मामले सेवानिवृत्ति लाभ से संबंधित थे।

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Khabar East

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