नक्सलियों द्वारा पीएलजीए सप्ताह के पहले ही दिन अपने प्रभाव वाले दक्षिण बस्तर के कई इलाकों में वीडियो जारी कर पीएलजीए की 20 वीं वर्षगांठ मनाने का आह्वान किया गया है। उल्लेखनीय है कि नक्सली कमांडर रमन्ना की मौत बीते वर्ष 07 दिसंबर को पीएलजीए सप्ताह के दौरान ही हुई थी, इसलिए नक्सलियों द्वारा पीएलजीए सप्ताह के दौरान दक्षिण बस्तर के जंगलों में विशेष तौर पर रमन्ना की याद में विशालकाय स्मारक का निर्माण कराये जाने और 07 दिसंबर को रमन्ना की मौत की बरसी के दिन ही विशेष कार्यक्रम आयोजित कर मनाये जाने की खबर है। नक्सली 07 दिसंबर को रमन्ना की मौत की बरसी के दिन किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने का प्रयास कर सकते हैं। नक्सलियों की पीएलजीए सप्ताह के मद्देनजर पुलिस द्वारा खास एहतियात दंतेवाड़ा, सुकमा एंव बीजापुर जिलों में बरती जा रही है। वैसे नक्सल संगठन कमजोर हो गया है, ऐसे में नक्सलियों के किसी भी वारदात के प्रयास में परिणाम विपरीत भी हो सकते हैं।
बता दें कि पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी 02 दिसंबर 2000 को स्थापित किया गया था, स्थापना दिवस को लेकर प्रति वर्ष पीएलजीए सप्ताह मनाया जाता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार, जिसे पीपुल्स वार ग्रुप भी कहा जाता है, पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी (पीजीए) के रूप में जाना जाता है। पीएलजीए की स्थापना उनकी तीन केंद्रीय समिति के सदस्यों की पहली पुण्यतिथि पर हुई थी, जो कोइयूरु में एक मुठभेड़ में मारे गए थे। 2004 में, जब पीपुल्स वार ग्रुप का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बनाने के लिए माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) में विलय हुआ, तो उनके संबंधित सशस्त्र विंग भी विलय हो गए। इसलिए, पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी (पीपुल्स वार ग्रुप की सैन्य शाखा) और पीपुल्सलिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (एमसीसीआई की सैन्य शाखा) ने मिलकर पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बनाई। पीएलजीए को सीपीआई(माओवादी) के केंद्रीय सैन्य आयोग द्वारा नियंत्रित किया जाता है।