एनआरसी मुद्दे पर गरमाया असम, 46 संगठनों ने किया असम बंद, जनजीवन प्रभावित

  • Oct 23, 2018
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गुवाहाटी, 23 अक्टूबरः

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बिल 2016 को मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र सरकार के प्रस्ताव के विरोध में असम की राजनीति पूरी तरह से गरमाई हुई है। जिसके खिलाफ असम के 46 संगठनों ने 12 घंटों के लिए पूरे प्रदेश को बंद करने का एलान किया है। कृष्ण मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और असम जतियातावादी युवा छात्र परिषद की ओर इस बंद का एलान किया है। जिसका समर्थन कांग्रेस के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियों ने किया है।

राज्य के अधिकांश जिलों में हो रहे प्रदर्शन का असर आम-जनजीवन पर पड़ा है। बंद के दौरान कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। दूसरी तरफ कई स्थानों से उग्र प्रदर्शन की खबरें भी प्राप्त हो रही है। असम के जोरहाट जिले से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक परिवहन के बसों पर पथराव किया है। बंद का असर राज्य के तकरीबन सभी जिलों में देखने को मिल रहा है। यहां सभी दुकानें बंद हैं और सार्वजनिक और निजी वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है।

गृह मंत्रालय के साथ संयुक्त संसदीय समिति की आज होने वाली बैठक के विरोध के लिए भी प्रदर्शन किया जा रहा है। जेपीसी के अध्यक्ष बीजेपी एमपी राजेंद्र अग्रवाल ने इसी साल मई में असम का दौरा किया था। बता दें कि, इसी साल 30 जुलाई को एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट जारी किया गया था। इस ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम में नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों पर किसी तरह की सख्ती बरतने पर फिलहाल के लिए रोक लगाई है।

गौरतलब है कि असम पब्लिक वर्क नाम के एनजीओ सहित कई अन्य संगठनों ने साल 2013 में राज्य में अवैध शरणाथिज़्यों मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। साल 2015 में सुप्रीम कोटज़् के निर्देश और निगरानी में यह काम शुरू हुआ था, जिसके बाद गत 30 जुलाई में फाइनल ड्राफ्ट जारी किया गया।

इधर इसी मामले को लेकर असम से बुरी खबर आयी है। असम के दारंग जिले में एनआरसी लिस्ट में नाम ना आने से परेशान एक रिटायर्ड शिक्षक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शिक्षक ने सोमवार को आत्महत्या की, जिसके बाद से ही इलाके का माहौल खराब चल रहा है। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि उनकी मौत का जिम्मेदार कोई नहीं है, लेकिन उन्होंने ये जरूर लिखा कि जब से एनआरसी लिस्ट जारी की गई है, उसके आखिरी ड्राफ्ट में उन्हें विदेशी की श्रेणी में डाल दिया गया था। इस कारण वे बेहद परेशान थे।

रिटायर्ड शिक्षक की पहचान निरोद बरन दास के रूप में हुई है। इसी साल 30 जुलाई को उनके घर पर नोटिस आया जिसमें कहा गया कि उनका नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है और उन्हें विदेशी होने का तमगा दे दिया गया। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर और परेशानी खड़ी कर दी है।

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