भारत की बायोइकोनॉमी, जिसमें बायोटेक, फार्मा और कृषि क्षेत्र शामिल हैं वर्ष 2024 में 165 अरब डॉलर मूल्यांकित हुई है और इसके 2030 तक बढ़कर 300 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी भारतीय बायोटेक रिसर्च सोसायटी (BRSI) के अध्यक्ष प्रो. सुधीर कुमार सोपोरी ने सोमवार को दी। प्रो. सोपोरी ने बताया कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर बायोफार्मा मिशन शुरू किया है और इसके साथ ही बायो एआई हब्स, बायोएग्रीकल्चर और बायोएनर्जी जैसे कई कार्यक्रम भी लागू किए गए हैं। वे यहां सोआ (SOA) डीम्ड विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘सतत विकास और परिपत्र अर्थव्यवस्था के लिए बायोटेक्नोलॉजी’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन उद्योग–शैक्षणिक सहयोग पर आधारित एक मिशन है, जिसका उद्देश्य देश में बायोफार्मास्यूटिकल विकास को तेज करना है। इस मिशन के तहत सरकार ने उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने वाला उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने के कार्यक्रम शुरू किए हैं। यह सम्मेलन, जिसमें 28 देशों के 40 प्रतिष्ठित वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं, सोआ के सेंटर फॉर इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च (CIBR) द्वारा BRSI के सहयोग से आयोजित किया गया है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) भुवनेश्वर के निदेशक प्रो. आशीष घोष, जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, ने मानव समाज के कल्याण हेतु बायोटेक के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो भी परिवर्तन हुए हैं, वे जीवन की गुणवत्ता सुधारने में बड़ी क्रांति साबित हुए हैं और इन महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों में अधिकांश योगदान बायोटेक क्षेत्र से आया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अब तक विकसित अधिकांश टीके, जिनमें कोविड-19 का टीका भी शामिल है, बायोटेक उत्पाद हैं। उन्होंने आशा जताई कि यह सम्मेलन मानवता के हित में बायोटेक के उपयोग को लेकर गंभीर चर्चाओं का मंच साबित होगा।
इंटरनेशनल बायो-प्रोसेसिंग एसोसिएशन (IBA) पुरस्कार प्रो. एए काउटिनास (यूनिवर्सिटी ऑफ पट्रास, ग्रीस) और प्रो. सुज़ाना फेरेरा डायस (यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, लिस्बन, पुर्तगाल) को प्रदान किए गए। प्रो. काउटिनास को खाद्य बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया, जबकि प्रो. डायस को फूड इंजीनियरिंग में उनके शोध के लिए सम्मान मिला।
सत्र को डॉ. विनोद परमेश्वरन (COE, BRSI), प्रो. मरिना तिस्मा (जोसीप जुराज स्ट्रॉस्मेयर यूनिवर्सिटी, क्रोएशिया) और प्रो. क्रिश्चियन लारोश (यूनिवर्सिटी क्लेरमोंट ऑवर्न, फ्रांस) ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोआ के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. प्रशांत कुमार पात्रा ने की।
सम्मेलन के संचालक, CIBR निदेशक और सम्मेलन अध्यक्ष प्रो. हृदयनाथ थताई भी सत्र में उपस्थित थे।
सम्मेलन की संयोजक प्रो. सस्मिता मोहंती ने अतिथियों का परिचय दिया, जबकि डॉ. अमृता बनर्जी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।