प्रसिद्ध कवि, गीतकार, स्क्रिप्ट राइटर और समाज चिंतक पद्म भूषण जावेद अख्तर को भारतीय सिनेमा व साहित्य में उनके उत्कृष्ट एवं आजीवन योगदान के लिए सोआ साहित्य सम्मान-2025 से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 29 नवंबर को भुवनेश्वर स्थित शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान (सोआ) डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय तीसरे सोआ साहित्य महोत्सव के उद्घाटन सत्र के दौरान प्रदान किया जाएगा। सोआ डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी ने यह सम्मान देशभर में साहित्य के क्षेत्र में असाधारण कार्य करने वाले रचनाकारों को सम्मानित करने के उद्देश्य से प्रारंभ किया है। इस पुरस्कार के माध्यम से उन प्रतिष्ठित लेखकों, कवियों और चिंतकों को सम्मानित किया जाता है जिनकी रचनाएं उत्कृष्टता, रचनात्मकता और बौद्धिक गहराई का प्रतीक हैं।
जावेद अख्तर न केवल एक प्रसिद्ध गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर हैं, बल्कि एक ऐसे कवि व विचारक भी हैं जिनके शब्दों ने आधुनिक भारत की भावनात्मक तथा सांस्कृतिक चेतना को गहराई से प्रभावित किया है। उनके गीतों ने हिंदी सिनेमा को गहराई, संवेदना और कालातीत प्रभाव प्रदान किया है।
जावेद अख्तर को अब तक पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 15 फिल्मफेयर पुरस्कार, पद्मश्री (1999), पद्म भूषण (2007) और साहित्य अकादमी पुरस्कार (2014) सहित अनेक सम्मान मिल चुके हैं। उनकी कविताओं के संग्रह ‘तरकश’ और ‘लावा’ आधुनिक हिंदी साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों में शामिल हैं और इनका अनुवाद कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में किया जा चुका है।
अख्तर एक प्रबुद्ध और प्रगतिशील आवाज़ के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाने जाते हैं। उन्होंने हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे विश्व के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में भी व्याख्यान दिए हैं।
भारतीय सिनेमा के सबसे रचनाशील शब्दशिल्पियों में गिने जाने वाले जावेद अख्तर का लेखन साहित्य और जीवन, कला व अंतरात्मा के बीच सेतु का कार्य करता है। उनकी रचनाएं सत्य, संवेदना और मानवीय मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। वह आज भी नई पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं।
यह सम्मान हर वर्ष किसी भी भारतीय भाषा में रचना करने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार को प्रदान किया जाता है। इसके साथ सात लाख रुपये की नकद राशि, देवी सरस्वती की रजत प्रतिमा, सम्मान पत्र और अंगवस्त्र (शॉल) दिया जाएगा।
इस वर्ष का दो दिवसीय साहित्य महोत्सव 29 और 30 नवंबर को आयोजित होगा, जिसका विषय होगा- “संस्कृति, रचनात्मकता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता”।
प्रोफेसर गायत्रीबाला पंडा, प्रमुख, पीपीआरएसीएचआईएन (PPRACHIN) एवं महोत्सव की निदेशक ने बताया कि इस वर्ष के आयोजन में देशभर से लगभग 100 प्रतिष्ठित लेखक, कवि, कलाकार, उपन्यासकार, अनुवादक, प्रकाशक, विचारक, रंगकर्मी और मीडिया हस्तियां भाग लेंगी। दो दिनों के इस आयोजन में 30 विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे।