दस लाख का इनामी नक्सली महाराज प्रमाणिक ने एके-47 के साथ पुलिस के समक्ष अधिकृत रूप से आत्मसमर्पण कर दिया। नक्सली महाराज प्रमाणिक दक्षिणी छोटानागपुर इलाके का जोनल कमांडर के पद पर था। उसके खिलाफ राज्य में कई मामले दर्ज हैं और सरकार ने उसके खिलाफ 10 लाख की ईनाम रखा था। हलांकि सूत्री की मानें तो महाराज प्रमाणिक काफी पहले से ही पुलिस के संपर्क में था और उसकी सूचना पर झारखंड पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की थी। महाराज प्रमाणिक के सरेंडर करने के पीछे की वजह बताई जा रही है कि भाकपा माओवादी संगठन में पतिराम मांझी को जब सेंट्रल कमेटी बनाकर सारंडा इलाके का प्रभार दे दिया गया तो संगठन में आदिवासी नेताओं के बीच नाराजगी उत्पन हो गयी थी। इसी के बाद महाराज प्रमाणिक ने संगठन छोड़ दिया था। कई बड़े कांडों में पुलिस को तलाश थी। वह पुलिस के साथ ही नक्सली संगठन के निशाने पर आ गया था। माओवादी संगठन ने कहा महाराज प्रमाणिक को गद्दार घोषित करते हुए जन अदालत में सजा देने की बात कही थी। माओवादियों के प्रवक्ता अशोक ने प्रेस बयान जारी कर कहा था कि जुलाई 2021 के पूर्व तीन बार इलाज का बहाना बनाकर महाराज संगठन से बाहर आया था। इस दौरान वह पुलिस के संपर्क में आ गया था।
आरोप यह भी लगाया कि संगठन से भागने के साथ ही वह संगठन के 40 लाख रुपये, एक एके 47 हथियार, 150 से अधिक गोलियां व पिस्टल लेकर भागा है। नक्सली संगठन के धमकी और पुलिस की संभावित कार्रवाई की वजह से महाराज प्रमाणिक को अपनी जान का भय सताने लगा था। इस बीच वह पुलिस के संपर्क में आया और खुद के सरेंडर करने कि इच्छा जताई। पुलिस ने सरेंडर करने से पहले इससे कई तरह का इनपुट्स लेकर नक्सली संगठन के खिलाफ कार्रवाई की थी। महाराज प्रमाणिक ने राज्य में कई बड़ी नक्सली घटना को अंजाम दिया था। सरायकेला के कुकुरूहाट, लांजी समेत कई वारदातों में महाराज प्रमाणिक की संलिप्तता है।