इस साल गांधी जयंती के अवसर से असम सरकार एक नया कानून लाने जा रही है। इस कानून के मुताबिक अब सरकारी कर्मचारी अपने माता-पिता के साथ अपने अपाहिज भाई-बहन की देखभाल करने को मजबूत होंगे। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो उन लोगों का वेतन काट दिया जाएगा।
वित्त मंत्री हेमंत विश्व सरमा ने शुक्रवार को बताया कि इस तरह का कानून लाने वाला असम देश का पहला राज्य होगा। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने इस हफ्ते की शुरुआत में ही प्रणाम अधिनियम के नियमों को मंजूरी दे दी है। हम अब एक प्रणाम आयोग का गठन करेंगे और उसमें अधिकारी नियुक्त करेंगे। अंत में हम 2 अक्तूबर से प्रणाम अधिनियम लागू करना शुरू कर देंगे।
पिछले साल राज्य विधानसभा ने असम कर्मचारी माता- पिता जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तथा निगरानी नियम विधेयक 2017 या प्रणाम विधेयक पारित किया था। इसका मकसद यह सुनिश्चत करना है कि राज्य सरकार के कर्मचारी अपने वृद्ध हो रहे माता पिता या शारीरिक रूप से अशक्त भाई - बहन की देखभाल करें नहीं तो उनके वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे।
मंत्री ने कहा, 'नियमों के तहत अगर कोई सरकारी कर्मचारी उसके ऊपर निर्भर माता- पिता की देखभाल नहीं करता तो उसके कुल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा काट लिया जाएगा और वह राशि माता- पिता के खाते में डाल दी जाएगी। दिव्यांग (शारीरिक रूप से अशक्त) भाई- बहन होने की स्थिति में वेतन से 15 फीसदी तक हिस्सा काट लिया जाएगा।'