बैंकों द्वारा ऋण वसूली प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट का इनकार

  • Nov 22, 2024
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भुवनेश्वर,22 नवंबरः

ओडिशा हाईकोर्ट ने वित्तीय संस्थानों द्वारा कानून के अनुसार की जाने वाली ऋण वसूली प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि न्यायालयों को इसमें हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए क्योंकि बकाया राशि की वसूली में विलंब और व्यवधानन केवल ऋण देने वाली संस्थाओं की वित्तीय स्थिरता को कमजोर करते हैं, बल्कि समग्र ऋण पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित करते हैं, जिससे अंततः वास्तविक उधारकर्ताओं को ऋण की उपलब्धता बाधित होती है।

जस्टिस एसके पाणिग्रही की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि न्यायालय को उन मामलों में अनुचित हस्तक्षेप से बचकर ऋण वसूली की प्रक्रिया का समर्थन करना चाहिए, जहां ऋणदाता ने कानून के दायरे में काम किया है। न्यायालय ने स्वीकृत एकमुश्त निपटान (ओटीएस) योजना के तहत ऋण वसूली को रद्द करने के खिलाफ हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।

 वर्तमान मामले में, जहां याचिकाकर्ता ओटीएस योजना की शर्तों का सम्मान करने में विफल रहा, इस न्यायालय का विचार है कि न्यायिक हस्तक्षेप एक अवांछनीय मिसाल कायम करेगा, राजकोषीय अनुशासन को हतोत्साहित करेगा और प्रभावी ऋण वसूली तंत्र को बाधित करेगा। न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप इस मामले में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

  केस डायरी के अनुसार, मयूरभंज जिले के उदला के याचिकाकर्ता ने 2013 और 2019 में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से क्रमशः नकद ऋण और कार ऋण लिया था। किश्तों के भुगतान में देरी के कारण दोनों ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गए। इसके अलावा, याचिकाकर्ता के बेटे ने भी शिक्षा ऋण लिया था, जिसके लिए वह गारंटर था। उस खाते को भी एनपीए घोषित कर दिया गया। ओटीएस के तहत याचिकाकर्ता को 20-20 लाख रुपये की तीन बराबर किश्तों में 60 लाख रुपये का भुगतान करना था। याचिकाकर्ता द्वारा निर्धारित तिथि तक 60 लाख रुपये का भुगतान करने में विफल रहने पर बैंक ने ओटीएस के तहत स्वीकृत निपटान को रद्द कर दिया। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को निपटान के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, खासकर तब जब बैंक ने एनपीए खाते को निपटाने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण रियायतें दे दी हैं।

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