कोरोना से बचने के तीन प्रमुख उपाय हैं- घर में रहना, मास्क पहनना और बार-बार हाथ धोते रहना। मास्क अब लोग घरों में भी बनाकर पहन रहे हैं। कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी मास्क बना रही हैं। लेकिन, हैंड सेनेटाइजर का उत्पादन फैक्ट्रियों में ही हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी की मानें तो हर माह औसतन 10 करोड़ का सेनेटाइजर बिहार अन्य राज्यों से आयात कर रहा है। कोरोना के संक्रमण का यह काल लंबा खिंचने वाला है। ऐसे में बिहार में मात्र एक कंपनी सेनेटाइजर बना रही है। हाजीपुर स्थित ग्लोबस स्प्रिट लिमिटेड को सेनेटाइजर बनाने का लाइसेंस दिया गया है। यह कंपनी 20 लीटर के जार में ही सेनेटाइजर बनाती है और सिर्फ सरकारी कार्यालयों में इसकी आपूर्ति की जाती है।राज्य के विभिन्न जिलों से एक दर्जन से भी अधिक कंपनियों ने सेनेटाइजर बनाने के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। लगभग एक महीना हो गया है, लेकिन किसी को लाइसेंस नहीं मिला है। ड्रग विभाग व जिला प्रशासन की टीम के निरीक्षण के बाद भी इन कंपनियों को लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया।
हाजीपुर के ग्लोबस के साथ ही ड्रग डिपार्टमेंट ने वहीं की एक और कंपनी को सेनेटाइजर बनाने का लाइसेंस दिया। पर डिपार्टमेंट ने उक्त कंपनी को स्प्रिट का कोटा ही नहीं दिया गया। इस कारण यह कंपनी सेनेटाइजर नहीं बना रही है।