महाप्रभु श्री जगन्नाथ बाहुड़ा यात्रा के साथ आज लौटेंगे अपने मंदिर

  • Jul 22, 2018
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पुरी, 22 जुलाईः

14 जुलाई को अपनी मौसी के घर रथारूढ़ होने के 7 दिन बाद रविवार को महाप्रभु श्री जगन्नाथ, भगवान बलराम और देवी शुभद्रा वापस अपने श्री मंदिर को जाएंगे। जिसे बाहुडा यात्रा के नाम से जाना जाता है जो कि दशमी तिथि को होती है। महाप्रभु की बाहुड़ा यात्रा के लिए प्रशासन की ओर से पूरी तैयारियां कर ली गई है। झमाझम बारिश गिरने के बावजूद भी महाप्रभु के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है।

गौरतलब है कि 14 जुलाई को रथयात्रा शुरू हुई थी। उसी दिन भगवान बलभद्र और देवी शुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए थे, जबकि उसके अगले दिन श्री जगन्नाथ का राथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा। यहां भगवान श्री जगन्नाथ गुंडिचा घर में सात दिनों तक अपने बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन शुभद्रा के साथ रहे। वहां अपने आणप-मण्डप में उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए। श्री मंदिर की रीति-नीति की तरह ही गुंडिचा मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ समेत चतुर्धा देवविग्रहों बलभद्र, शुभद्रा और सुदर्शन को नियमित सभी प्रकार की सेवाएं पूरी रीति-नीति के तहत उपलब्ध कराई गई।

22 जुलाई को सुबह 4 बजे बाहुड़ा यात्रा की समस्त औपचारिकताएं आरंभ हो गई। इसी वक्त गुंडिचा मंदिर में मंगल आरती की गई। 4.15 बजे मय्यलम, 4.30 बजे तड़पलागी, 4.30 बजे रोसड़ा भोग, 5 बजे अवकाश, 5.15 बजे सूर्यपूजा, 5.30 बजे द्वारपाल पूजा, 5.30 बजे शेष वेष, 5.30 बजे से लेकर 6.30 बजे तक गोपाल वल्लभ भोग, खिचड़ी भोग, सकल धूप, 6.30 बजे से 10 बजे तक सेनापटा लागी, 1.15 बजे अपराह्न बाहुड़ा पहंडी, 1.45 छेरापहंरा, 2.45 बजे घोड़ा लागी आदि होगा। इसके बाद 3 बजे से बाहुड़ा यात्रा शुरू होगी।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार और श्री मंदिर प्रशासन श्री जगन्नाथ पुरी सौजन्य से बड़दाण्ड पर रथ खींचने एवं जगन्नाथ भक्तों की सुरक्षा आदि के कड़े प्रबंध किए गए हैं। सबसे आगे बलभद्र जी का तालध्वज रथ वापस श्री मंदिर की ओर चलेगा। उसके पिछे शुभद्रा जी का राथ देवदलन चलेगा और सबसे आखिरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ का नंदीघोष रथ खींचा जाएगा।

इसके अलावा 23 जुलाई रथ पर ही भगवान श्री जगन्नाथ का सोना वेष होगा। 24 जुलाई को अधरपणा और 25 जुलाई को भगवान श्री जगन्नाथ देवी लक्ष्मी की अनुमति से अपने नीलाद्रि विजय के साथ श्रीमंदिर के अपने रत्नवेदी पर विराजमान होंगे। भगवान श्री जगन्नाथ के नीलाद्रि विजय की खुशी में उन्हें उस दिन रसगुल्ले का भोग निवेदित किया जाएगा।

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