ओडिशा लोकायुक्त ने राज्य सतर्कता निदेशक को जाजपुर तहसील में अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और पांच करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप की जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। राज्य सतर्कता विभाग ने 20 जनवरी, 2018 को जाजपुर तहसील के अधिकारियों द्वारा भारी राजस्व के दुरुपयोग की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। लेकिन किसी भी अधिकारी खिलाफ अबतक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में अब 18 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
एक आरटीआई एक्टिविस्ट सर्वेश्वर बेहुरिया ने लोकायुक्त के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें 5 करोड़ रुपये के गबन की जांच की मांग की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सतर्कता विभाग ने एक मामला दर्ज तो किया है लेकिन अभी तक कुछ ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। 25 जुलाई को बेहुरिया ने जाजपुर कलेक्ट्रेट पीआईओ को आरटीआई आवेदन दायर किया था। उल्लेखनीय है कि कटक विजिलेंस एसपी द्वारा जाजपुर कलेक्टर को 30 जुलाई को भेजे गए एक पत्र से यह पता चला कि वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान लक्ष्मीकांत मिश्रा तत्कालीन जाजपुर तहसीलदार के साथ उनके कार्यालय के तत्कालीन नजीर राजेश कुमार राउतराय के साथ साजिश रची है। भूमि अधिग्रहण के लिए तहसील के खाते से 5 करोड़, 51, 42,565 और 18,61,549 रुपए बतौर मुआवजा ट्रांसफर कए गए हैं। इसके बाद मिश्रा ने रजत कुमार राउतराय को चेक जारी किया। हालांकि उसे तहसील से स्थानांतरित कर दिया गया और राउत के व्यक्तिगत खाते में यह राशि जमा कर दी गई। इस तरह के अवैध कार्य का पता लगने के बाद पूर्व-नजीर राउतराय ने तहसील कार्यालय में चेक जमा कर दिया।