बच्चों की पढ़ाई न रुके, इस मकसद से लॉन्च किया गया पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल, ऑनलाइन लगेंगी कक्षाएं

  • Apr 08, 2020
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रायपुर.

लॉकडाउन की वजह से राज्य के सभी स्कूल बंद हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसका उपाय स्कूल शिक्षा विभाग ने किया है। एक पोर्टल लॉन्च किया गया है। इसमें बच्चों को ई क्लासरूम, स्टडी मटेरियल, वीडियो लेसन, शैक्षणिक खेल, होमवर्क करने जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इस पोर्टल का नाम है पढ़ई तुंहर दुआर (पढ़ाई आपके द्वार पर) इस पोर्टल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लॉन्च। महज एक दिन में इससे राज्य के 820 बच्चे औश्र 1708 शिक्षक जुड़ चुके हैं। जल्द ही प्रदेश के लाखों बच्चे इस पोर्टल से जोड़े जाएंगे और घर बैठे ही उनकी कक्षाओं की पढ़ाई पूरी कराई जाएगी। इस पोर्टल का यूआरएल cgschool.in है। 

पोर्टल के इस्तेमाल करने का तरीका 

दूसरे राज्य के बच्चे भी जुड़ सकेंगे 

यह पोर्टल सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि हिंदी भाषी हर राज्य के बच्चे के लिए कारगर है। देश का कोई भी बच्चा इस पोर्टल से जुड़कर इसमें मौजूद स्टडी मटेरियल का इस्तेमाल कर सकता है। इस पोर्टल के ट्रायल के पहले ही दिन इसे 40 हजार लोगों ने विजिट किया। इस पोर्टल में ऑनलाईन कक्षाएं भी होंगी, बिना किसी फीस के छात्र इसका फायदा उठा सकेंगे। छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने एन.आई.सी. की सहायता से ऑनलाईन पढ़ाई के लिये यह पोर्टल तैयार किया है। इसमें कक्षा 1 से 10वीं तक के स्टूडेंट पढ़ाई कर सकेंगे। 

यह सुविधाएं मिलेंगी 

इस पोर्टल में बच्चे अपनी क्लास सिलेक्टर करेंगे। इसके बाद विषय का ऑप्शन मिलेगा। इसमें स्टूडेंट किताबों को पीडीएफ फॉर्मेट में पढ़ पाएंगे, किताबें डाउनलोड भी की जा सकेंगी। इसमें ऑडियो और वीडियो लेसन भी मौजूद हैं। शिक्षक और बच्चे अपने-अपने घरों से ही वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए जुड़ेंगे और बात करते हुए पढ़ाई कर सकेंगे। इसमें ऑनलाईन होम वर्क भी दिया जाएगा। बच्चे अपनी कॉपी में होमवर्क पूरा करेंगे, फिर मोबाइल से फोटो लेकर उसे अपलोड करेंगे, टीचर पोर्टल में ही उसे जांचेंगे। 

बिना किसी खर्च के तैयार किया पोर्टल 

सरकार का दावा है कि इस पोर्टल को बनाने में किसी बाहरी एजेंसी की मदद नहीं ली गई। सरकारी एजेंसी ने मिलकर इसकी प्रोग्रामिंग पर काम किया और पोर्टल अब लोगों के बीच है। जानकारी के मुताबिक इसकी प्रोग्रामिंग विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने एनआईसी के प्रोग्रामरों के साथ मिलकर की है। कई शिक्षकों की राय को भी इसमें शामिल किया गया। बच्चे इसे कंप्यूटर या मोबाइल में आसानी से इस्तेमाल कर सकें, इस तरह से इसे डिजाइन किया गया है। लॉकडाउन के बाद भी राज्य के स्कूलों में इसका इस्तेमाल होगा खासकर वहां जिन इलाकों में शिक्षकों की कमी है।

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