कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री जोन घोषित किए जाएं। गौरतलब है कि कोविड-19 के मद्देनजर इस बार विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों ने आगंतुकों के आगमन पर रोक लगाते हुए आभासी (वर्चुअल) 'दर्शन' का प्रबंध किया है। हालांकि, कई अन्य दुर्गा पूजा संघों का कहना है कि यह महोत्सव समावेशिता की भावना से ओतप्रोत है और आगंतुकों को पंडालों में आने से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने भीड़ को संभालने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
शहर के कम से कम दो बड़े पूजा आयोजकों संतोष मित्रा स्क्वायर और देबदारू फाटक ने घोषणा की है कि इस बार बाहरी लोगों को आने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा है कि लोग उनके यू-ट्यूब चैनलों के जरिए माता दुर्गा की मूर्ति की झलक पा सकते हैं और रस्में अदा कर सकते हैं। संतोष मित्रा स्क्वायर के सचिव सजल घोष ने कहा कि हर साल तंग गलियों से निकलकर लाखों लोग पूजा पंडाल पहुंचते हैं। इस बार इसकी अनुमति नहीं होगी। हमारे इलाके के लोग भी कोविड-19 की चपेट में आ सकते हैं। इसलिए हमने अपने पंडाल में आगंतुकों के आगमन पर अस्थायी पाबंदी लगा दी है।
'वहीं, संतोषपुर लेक पल्ली के सचिव सोमनाथ दास ने कहा कि हमने आगुंतकों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई है। इसके अलावा पंडाल भी इस तरह लगाए गए हैं कि लोग पंडाल से लगी सड़क से मूर्ति की झलक पा सकें।