देश की पहली मेट्रो रेल सेवा देने वाला शहर कोलकाता अब एक और तकनीकी क्रांति का साक्षी बनने जा रहा है। वर्ष 1984 में शुरू हुई कोलकाता मेट्रो ने गंगा के नीचे मेट्रो लाइन और देश के सबसे गहरे मेट्रो स्टेशन जैसे कई ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अब मेट्रो में बिना चालक की ट्रेनें चलाने की तैयारी की जा रही है।रेल मंत्रालय ने “नीली लाइन” यानी दक्षिणेश्वर से कवि सुभाष तक के मार्ग पर संचार आधारित रेल नियंत्रण प्रणाली (सीबीटीसी सिग्नल सिस्टम) स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। इस अत्याधुनिक तकनीक के लिए 465 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। मेट्रो अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में उत्तर-दक्षिण मार्ग पर हर छह मिनट के अंतराल पर एक ट्रेन चलती है, लेकिन नई प्रणाली लागू होने के बाद यह अंतराल घटाकर दो मिनट रह जाएगा। सीबीटीसी प्रणाली के माध्यम से स्वचालित रेल संचालन संभव होगा। इस तकनीक के तहत ट्रेनों को चलाने के लिए चालक की आवश्यकता नहीं होगी, केवल एक रेल परिचारक मौजूद रहेगा।
अधिकारियों का कहना है कि नीली लाइन पर इस नई प्रणाली को पूरी तरह लागू करने में अभी तीन से चार वर्ष का समय लग सकता है। इसके बाद कोलकाता भी दिल्ली और बेंगलुरु की तरह बिना चालक वाली मेट्रो सेवा वाले शहरों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।