बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में संभावित है। जाहिर है सियासी दल व गठबंधन एक दूसरे को मात देने की सारी रणनीति बनाने में लग गए हैं। इसी क्रम में दलबदल का सिलसिला भी तेज होता जा रहा है। गुरुवार को जहां आरजेडी ने जेडीयू के एक बड़े कद्दावर नेता को पार्टी ज्वाइन करवाया, वहीं शनिवार को आरजेडी में टूट की खबरों से सियासी हलचल मचती रही। कहा जा रहा है कि कुछ बड़े नेता जल्दी ही आरजेडी छोड़ जेडीयू ज्वाइन करने वाले हैं। बता दें कि राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके विजेंदर यादव सात जुलाई को जेडीयू का दामन थाम लेंगे, लेकिन थामने के पहले ही उन्होंने बड़ा दावा कर दिया है और शाहाबाद में बड़ी टूट की बात कही है। हालांकि जेडीयू की ओर से कहा जा रहा है कि आगे-आगे देखिये होता है क्या?
पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि तेजस्वी यादव पर आरजेडी नेताओं को भी भरोसा नहीं रह गया है। उन्हेंभविष्य की चिंता सताने लगी है इसलिए संभावित टूट को रोक पाना तेजस्वी के बस का नहीं है। उन्होंने कहा कि आरजेडी के नेता निकलने के लिए बेताब हैं। चुनाव नजदीक है इस कारण लोग शामिल होने को तैयार भी और अब दल बदल कानून का भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
हालांकि आरजेडी ने संभावित टूट को नकारते हुए कहा कि जेडीयू टूट के सपने देख रही है। पार्टी के नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जेडीयू डूबती नाव है और इसमें कोई क्यों सवार होना चाहेगा। बिहार की 12 करोड़ जनता के दिल मे लालू हैं और आरजेडी के सभी विधायक एकजुट हैं।