जिले के लक्ष्मीपुर पंचायत के मुकुंद दोरा ने चक्रवाती तितली के प्रभाव से मृत बेटी के शव को अपने कंधे पर लेकर जाने का मामला सामने आने के बाद प्रशासन की ओर से मुकुंद को 10 लाख रुपए की सहायता राशि पेश की गई। लेकिन इसके कुछ देर बाद ही जिले के एसपी ने विवादित बयान देकर एक नया जंग छेड़ दिया है। जिले के रायगढ़ ब्लॉक के आतंकपुर गांव का मुकुंद दोरा अपनी 8 साल की बेटी के शव को अपने कंधे पर लेकर जाने की घटना पर जिला एसपी ने उन्हें ही दोषी ठहराया दिया। इस बारे में जिला एसपी ने कहा कि बेटी के शव को पिता ने दफना दिया था। जब सहायता राशि देने की बात सामने आई तो शव का पोस्टमार्टम होना जरूरी था। इसलिए जहां पर पिता ने खुद अपनी बेटी के शव को दफनाया था, वहीं से दोबारा शव निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए ले आया।
दूसरी ओर एसपी ने स्वीकारा कि कट ऑफ एरिया और पगडंडी का रास्ता खराब होने की वजह से प्रशासन पीड़ित के पास नहीं पहुंच पाया।
बता दें कि गुरूवार को अपनी बेटी के शव के कंधे पर लेकर 8 किमी चलने की घटना सामने आने के बाद दान माझी की घटना फिर से याद आ गई।
उल्लेखनीय है कि चक्रवाती तूफान जाने के 7 दिन बाद मुकुंद की बेटी बबिता का शव पास के एक झरने के पास मिला। इसे देखते ही इसकी जानकारी तुरंत पुलिस को दी गई। लोगों का कहना है कि पुलिस मौके पर आई फिर चली गई। कई समय तक इंतजार करने के बाद कोई भी नहीं आया। फिर मुकुंद खुद अपनी बेटी का शव कंधे पर लेकर अस्पताल की ओर चल पड़ा। जब 8 किमी का रास्ता पैदल चलने के बाद मुकुंद अपनी बेटी का शव लेकर अस्पताल में पहुंचाया तो वहां मौजूद पुलिस उसके आगे की व्यवस्था की।
जिलाधिकारी ने मुआवजे के रूप में मुकुंद को 10 लाख रूपये का चेक प्रदान किया। उस वक्त जिले के एसपी भी उपस्थित थे। इसके बावजूद उनका इस तरह का बयान काफी दुर्भाग्यजनक है।