आगामी 19 जून को होने वाले कालीगंज विधानसभा उपचुनाव इस बार चुनाव आयोग में कई अभूतपूर्व कदम उठाने जा रहा है। आयोग का दावा है कि आने वाले दिनों में यह देशभर के सभी चुनावों के लिए रोल मॉडल बनने जा रहा है। मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग ने कालीगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह पहल चुनावों में पारदर्शिता और नागरिक सहयोग बढ़ाने के लिए है। अब से प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या बढ़ाकर 1200 की जा रही है। जिसका मतलब है कि आने वाले दिनों में राज्य में कुल बूथों की संख्या बढ़ने जा रही है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक अभी तक राज्य में कुल बूथों की संख्या 81 हजार थी। इस बार नए नियमों के चलते यह बढ़कर करीब एक लाख हो जाएगी। वहीं अब से मतदान के लिए वॉलंटियर नहीं रखे जाएंगे। इसकी जगह आयोग ने एनसीसी एनएसएस जैसी फोर्स का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इसके अलावा इस बार मतदाता अपने मोबाइल फोन साथ लेकर चलेंगे, लेकिन सभी बूथों पर बूथ में प्रवेश करने से पहले उसे रखने के लिए जगह बनाई जाएगी। आयोग ने बताया कि चुनाव को अधिक पारदर्शी, सहभागी और तकनीक आधारित बनाने के लिए 19 फरवरी से 10 जून के बीच कुल 23 पहल लागू की गई हैं। कालीगंज विधानसभा उपचुनाव में ऐसा पहली बार देखने को मिलेगा। इस दृष्टि से यह चुनाव पूरे देश के लिए एक मॉडल बनने जा रहा है।
मतदाता पर्ची में अब से सीरियल नंबर और पार्ट नंबर स्पष्ट रूप से अंकित होगा। 20 साल के लंबे अंतराल के बाद किसी उपचुनाव से पहले एसएसआर (स्पेशल समरी रिवीजन) पूरा किया गया है। कुछ प्रक्रियागत सुधार किए गए हैं। उदाहरण के लिए, वीआर ट्रेंड और रिपोर्ट के त्वरित प्रकाशन के लिए डिजिटलीकरण और अपग्रेडेशन किया गया है। साथ ही, ईसीआईएनईटी डैशबोर्ड लॉन्च किया गया है, जो 40 से अधिक ऐप/सेवाओं को एक साथ लाएगा। डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर की समस्या के समाधान के लिए एक नई व्यवस्था बनाई गई है। आयोग ने चुनाव कर्मियों के अतिरिक्त सशक्तिकरण की भी व्यवस्था की है। उदाहरण के लिए, अब से बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को मानक फोटो पहचान पत्र दिए जाएंगे।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, तीन हजार से अधिक बीएलओ को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। भविष्य में एक लाख और बीएलओ को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य सीईओ कार्यालय से मीडिया अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के लिए संचार और अभिविन्यास कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं। आयोग ने इस बार राजनीतिक दलों के साथ भी कई बैठकें की हैं। आयोग ने कहा कि यह कदम भविष्य के हर चुनाव को अधिक तकनीक आधारित, सूचना आधारित और भागीदारीपूर्ण बनाने के लिए है। आने वाले दिनों में देश में होने वाले हर चुनाव में इसे लागू किया जाएगा।