संविधान की रक्षा के लिए कानून के शासन का सम्मान अत्यंत आवश्यक

  • Sep 14, 2025
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भुवनेश्वर, 14 सितंबर:

ओडिशा हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण श्रीपाद दीक्षित ने कहा कि संविधान के अस्तित्व के लिए कानून के शासन का सम्मान अत्यंत आवश्यक है। जस्टिस दीक्षित ने यहां सोआ डीम्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा '' अनुसंधान व्याख्यान देते हुए कहा कि यदि हम विधि के शासन का सम्मान नहीं करेंगे, तो संविधान ध्वस्त हो जाएगा।

जस्टिस दीक्षित ने कहा कि भारतीय संविधान में 100 से अधिक संशोधन किए जाने के बाद भी यह जीवित है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, भारत के चुनाव आयोग, संसद, राज्य विधानसभाओं और भारत के महापंजीयक सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा की जानी चाहिए।

वह सोआ व्याख्यान श्रृंखला में 'हमारे संविधान का निर्माण' शीर्षक से मुख्य भाषण दे रहे थे।

1920 के 'इलाहाबाद प्रस्ताव' का उल्लेख करते हुए जिसमें भारत के लिए एक संवैधानिक ढांचे के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था, उन्होंने कहा कि देश को स्वतंत्रता मिलने से पहले 1946 में एक संविधान सभा का गठन किया गया था।

उन्होंने कहा कि संविधान एक राष्ट्र के भौगोलिक क्षेत्र पर आधारित है, जिसकी सीमाएं, जनसंख्या, एक वैध सरकार और अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंध बनाए रखने की क्षमता निर्धारित है।

जब भारत को स्वतंत्रता देने का विधेयक ब्रिटिश संसद में पेश किया गया था, तो विपक्ष के नेता विंस्टन चर्चिल ने इसका विरोध किया था और कहा था कि अगर भारत को स्वतंत्रता दी गई, तो "सत्ता बदमाशों, बदमाशों और लुटेरों के हाथों में चली जाएगी; सभी भारतीय नेता निम्न स्तर के और तुच्छ लोग होंगे।"

जस्टिस दीक्षित ने कहा-लेकिन भारत ने एक साथ 106 उपग्रहों का प्रक्षेपण कर चर्चिल को गलत साबित कर दिया।

उन्होंने कहा कि भारत एक महान देश है क्योंकि देश में कई धार्मिक आस्थाएं हैं। इस्लाम सऊदी अरब पहुंचने से पहले भारत पहुंच गया था, जबकि ईसाई धर्म भी यूरोप पहुंचने से पहले ही भारत पहुंचा था।

जस्टिस दीक्षित ने कहा कि भारत ज्ञान की भूमि है जो सदैव प्रकाश की ओर अग्रसर रही है।

सोआ के कुलपति प्रो. प्रदीप्त कुमार नंद ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया, जबकि विश्वविद्यालय के विधि अध्ययन संकाय, सोआ राष्ट्रीय विधि संस्थान (एसएनआईएल) के डीन प्रो. एसएके आज़ाद ने अतिथि का स्वागत किया। डीन (छात्र कल्याण) प्रो. ज्योति रंजन दास ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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