ओडिशा सरकार ने सभी जॉब कार्ड धारकों के लिए अगले तीन महीनों के भीतर अपना ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर) सत्यापन पूरा करना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा न करने पर उनके कार्ड रद्द कर दिए जाएंगे। पंचायती राज एवं पेयजल आपूर्ति मंत्री रबी नारायण नाइक ने शुक्रवार को यह घोषणा की।
यह कदम पिछली सरकार के दौरान जारी की गई अनियमितताओं और फर्जी जॉब कार्डों पर व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है। मंत्री नाइक ने ज़ोर देकर कहा कि पिछली सरकार के दौरान फर्जी जॉब कार्ड जारी करने और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के धन का दुरुपयोग करने वाले व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होना होगा।
वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने बताया कि पिछले एक साल में दो लाख नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तविक लाभार्थियों को मनरेगा के अंतर्गत लाया जाए।
नाइक ने कहा कि यह सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए प्रतिबद्ध है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि केवल पात्र नागरिकों को ही रोज़गार लाभ मिले और सार्वजनिक धन का किसी भी तरह का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अनिवार्य ई-केवाईसी अभियान को जॉब कार्ड धारकों के प्रमाणीकरण और सिस्टम में फर्जी प्रविष्टियों को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अधिकारियों ने संदिग्ध प्रविष्टियों की पहचान करने और उन्हें चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस घोषणा ने एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है, और विपक्ष इस कदम को एक लक्षित हमले के रूप में देख सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई प्रशासनिक है, राजनीतिक नहीं, और इसका उद्देश्य केवल कल्याणकारी योजनाओं के वितरण को सुव्यवस्थित करना है।
ई-केवाईसी पूरा करने की तीन महीने की समय सीमा पंचायत स्तर के अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेगी, क्योंकि अगर उनके रिकॉर्ड समय पर अपडेट नहीं किए गए तो हजारों ग्रामीण श्रमिकों को लाभ खोने का जोखिम हो सकता है।