महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण ने शनिवार को लंबे समय से लंबित महानदी जल बंटवारे के मुद्दे पर दलीलें सुनीं, जिसमें ओडिशा का पक्ष महाधिवक्ता (एजी) पीतांबर आचार्य ने रखा। न्यायाधिकरण ने ओडिशा के वर्तमान दृष्टिकोण की सराहना की, जबकि एजी ने पिछली सरकार द्वारा विवाद से निपटने के तरीके की कड़ी आलोचना की।
न्यायाधिकरण को संबोधित करते हुए एजी आचार्य ने कहा कि पिछले सात वर्षों से इस मामले को बिना किसी वजह टाला गया है, जिससे बहुत कम प्रगति हुई है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि न्यायाधिकरण के सक्रिय हस्तक्षेप, दोनों राज्यों के बीच साप्ताहिक तकनीकी बैठकों और रचनात्मक रवैये से विवाद का अंततः समाधान निकल सकता है।
एजी के अनुसार, लगभग 40 प्रमुख मुद्दे अभी भी विवाद में हैं और ओडिशा व छत्तीसगढ़ की तकनीकी टीमें अब इन पर विचार करने के लिए नियमित रूप से बैठकें करेंगी।
आचार्य ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि महानदी का मुद्दा मूलतः राजनीतिक प्रकृति का है और इसे दोनों राज्यों के नेताओं के बीच बातचीत और आपसी समझ से ही सुलझाया जा सकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना, कानूनी और तकनीकी प्रयासों के बावजूद यह विवाद अनसुलझा ही रहेगा।
केंद्र सरकार और केंद्रीय जल आयोग की मध्यस्थता सहित केंद्र की भागीदारी से, समाधान की संभावना ज़्यादा लगती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों से बात कर चुके हैं, जबकि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल को भी इस मामले की जानकारी दी गई है। न्यायाधिकरण के समक्ष अगली सुनवाई अब 11 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।