"मैं कौन हूँ? मैं कहां से आया हूं? मृत्यु के बाद मेरा क्या होगा? ये भले ही दार्शनिक प्रश्न हों लेकिन इन आत्म-जांच के उत्तर आपको बदल सकते हैं, ऐसा कहना है राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला के पूर्व प्रोफेसर और लेखक प्रो. (डॉ.) कान्हू चरण पात्र का।
प्रो. (डॉ.) पात्र ने अपनी पुस्तक 'कर्म की व्याख्या-जन्म से पुनर्जन्म तक' में इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है, जिसका विमोचन मंगलवार को यहां शिक्षा 'ओ' अनुसंधान डीम्ड विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) मनोजरंजन नायक ने किया।
प्रो. (डॉ.) पात्र ने बताया कि इस पुस्तक का केंद्र बिंदु 'कर्म' और 'मोक्ष्य' हैं, फिर भी यह अपनी गहराई बढ़ाने के लिए संबद्ध विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला का अन्वेषण करने का भी प्रयास करती है। चार खंडों में विभाजित यह पुस्तक जीवन के उद्देश्य और एक व्यक्ति को क्या कदम उठाने चाहिए, इस पर केंद्रित है? पुस्तक ज्ञानयुग प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है।
सोआ के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. दामोदर आचार्य, सोआ के प्रधान सलाहकार (स्वास्थ्य विज्ञान) प्रो. (डॉ.) अशोक महापात्र, सोआ के उप-कुलपति प्रो. पीके पात्र, आईटीईआर में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर प्रो. पीके पारही, पठानी सामंत तारामंडल के पूर्व उप निदेशक डॉ. शुभेंदु पटनायक, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के पूर्व अध्यक्ष अशोक बासा और पुस्तक के संपादक पंचानन राउत पुस्तक विमोचन समारोह में उपस्थित थे।