झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास दुमका में भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में जनजातीय समुदाय की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। हेमंत सरकार अपने वोट बैंक के खातिर इसे पिछड़ा अवस्था में ही रखना चाहती है। इस राज्य का एक ग्रुप इन्हें ईसाई प्रदेश तो दूसरा इस्लामी प्रदेश बनाना चाहता है। अगर यही हाल रहा तो झारखंड की स्थिति नागालैंड और मिजोरम जैसी हो जाएगी। इसे बचाने के लिए झारखंड में एक और हूल (आंदोलन) की आवश्यकता है। मैंने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया है। बारिश के मौसम के बाद जनजातीय समाज को जागरूक करने के लिए मैं पद यात्रा पर निकलूंगा। उन्होंने हेमंत सरकार से यह मांग की है कि जल्द से जल्द पेसा कानून लागू करें। इससे जनजातीय समुदाय का सर्वांगीण विकास होगा। भारत सरकार के सचिव ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा कि 1400 करोड़ रुपए का फंड तभी दिया जा सकता है, जब आप पेसा कानून लागू करेंगे।
रघुवर दास ने सरकार से यह सवाल किया कि आखिरकार किसके दबाव में पेसा कानून लागू नहीं हो रहा है। आज आदिवासियों के हित और विकास के नाम पर अबुआ सरकार सत्ता में तो आ गई है, पर वह इस समुदाय के लिए कोई भी काम नहीं कर रही है। वर्षों से यह समाज विकास के लिए संघर्ष कर रहा है। इसके भी अपने सपने, आकांक्षाएं हैं लेकिन उस पर हेमंत सोरेन का ध्यान नहीं है। रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सोरेन ने मंईयां सम्मान योजना की घोषणा कर वोट तो ले लिया लेकिन लगातार उसके लाभुकों की संख्या में कटौती कर रही है। इससे साफ पता चलता है कि यह सरकार महिलाओं की भी हितैषी नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज झारखंड में जो घुसपैठ हो रहा है, वह काफी खतरनाक है। मेरे कार्यकाल में पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन हेमंत सरकार उसे छूट दे रही है। पीएफआई और सिमी में कोई अंतर नहीं है। धर्मांतरण और घुसपैठ को यह सरकार समर्थन दे रही है, जो इस राज्य के लिए काफी चिंताजनक है।