ओडिशा विधानसभा ने मंगलवार को विधायकों, मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष के वेतन में बड़े पैमाने पर संशोधन को मंजूरी दे दी है। साथ ही पूर्व विधायकों की पेंशन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई है। संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग द्वारा पेश किए गए संशोधित पारिश्रमिक विधेयक को सदन के अनिश्चितकालीन स्थगन (साइन डाई) से ठीक पहले पारित किया गया, जिससे शीतकालीन सत्र समय से पहले समाप्त हो गया।
नई व्यवस्था के तहत वर्तमान और पूर्व दोनों प्रकार के विधायकों के वेतन और पेंशन को 90,000 निर्धारित किया गया है, जो एक बड़ी बढ़ोतरी है।
अध्यक्ष के वेतन और भत्तों में सर्वाधिक बढ़ोतरी
अध्यक्ष का मासिक वेतन 40,500 से बढ़कर 98,000 कर दिया गया है। बैठक भत्ता भी 800 से बढ़ाकर 2,000 किया गया है।
अध्यक्ष का वाहन भत्ता 17,000 से बढ़कर 89,000, जबकि सत्कार (मनोरंजन) भत्ता 40,000 से बढ़ाकर 1.81 लाख कर दिया गया है। सरकारी आवास आवंटित होने तक दैनिक आवास भत्ता भी 1,000 से बढ़ाकर 2,000 कर दिया गया है।
विधायकों के भत्तों में भी व्यापक वृद्धि
संशोधित भत्तों में शामिल हैं:
सत्कार भत्ता: 96,000 (पहले 40,000)
निर्वाचन क्षेत्र एवं लोक सेवा भवन यात्रा भत्ता: 75,000 (पहले 20,000)
समिति बैठक भत्ता: 3,000 (पहले 1,500)
ओडिशा से बाहर बैठक में भाग लेने का भत्ता: 10,000 (पहले 2,000)
राज्य के भीतर यात्रा भत्ता: 35 प्रति किमी (पहले 25 प्रति किमी)
मासिक परिवहन भत्ता: 50,000 (पहले 15,000)
सदस्य मासिक भत्ता: 10,000 (पहले 2,000)
बिजली शुल्क: 20,000 (पहले 5,000)
चिकित्सा उपचार भत्ता: 35,000 (पहले 5,000)
आवास भत्ता: 2,000 प्रतिदिन (पहले 1,000)
मोटर कार अग्रिम: 10 लाख (पहले 5 लाख)
अब तक, विधायकों को 35,000 मूल वेतन तथा 65,000 विभिन्न भत्ते मिलते थे (यात्रा एवं सत्र भत्ते अलग)। कैबिनेट मंत्रियों का मासिक वेतन 40,000, जबकि राज्य मंत्रियों का 38,000 था।
सरकार गठन के बाद बनी थी समिति
बीजेपी सरकार के पिछले वर्ष सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने विधायक भास्कर मढेही की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी ताकि वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों के वेतन और पेंशन ढांचे का पुनरीक्षण किया जा सके।
इस कदम को सभी दलों से समर्थन मिला, क्योंकि कई सदस्यों ने बढ़ती महंगाई के कारण पूर्व विधायकों की पेंशन अपर्याप्त होने की समस्या उठाई थी।