ओडिशा की कृषि खरीद प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार करते हुए सहकारिता मंत्री प्रदीप बलसामंत ने मंगलवार को आरोप लगाया कि फर्जी किसान—मुख्यतः बिचौलिए जो खुद को किसान बताते हैं—राज्य के राजस्व को लूट रहे हैं और असली किसानों को उनके वाजिब लाभ से वंचित कर रहे हैं।
धान खरीद में व्यापक अनियमितताओं पर मीडिया की चिंताओं का समाधान करते हुए मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस घोटाले में असली किसान शामिल नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये असली किसान नहीं, बल्कि बिचौलिए हैं, जिनमें से कई पिछली बीजद सरकार से जुड़े हैं। वे वर्षों से इस व्यवस्था का फायदा उठा रहे हैं।
सामंत ने खुलासा किया कि बीजद शासन के दौरान, गैर-किसानों के नाम पर बड़ी संख्या में फर्जी पंजीकरण किए गए थे। उन्होंने कहा कि पिछले साल, लापरवाही के कारण, इनमें से कुछ फर्जी किसान पंजीकरण कराने और धान बेचने में कामयाब रहे, जबकि असली किसानों को टोकन नहीं दिए गए। इनमें से कुछ जमीनों पर तो खेती भी नहीं हुई थी।
शिकायतों और विभागीय जांच के बाद, सरकार ने 1.81 लाख फर्जी किसान पंजीकरणों की पहचान की। सभी संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी कर उनके फर्जी दावों के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है। मंत्री ने चेतावनी दी है कि हमारी जांच जारी रहने पर ऐसे और मामले सामने आ सकते हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं कि आगे चलकर केवल वास्तविक किसान ही सरकारी खरीद योजनाओं का लाभ उठाएं।