उपमुख्यमंत्री और कृषि एवं किसान सशक्तिकरण, ऊर्जा मंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने बरमुंडा में स्पेशलिटी चावल और बाजरा फैक्ट्री के विकास पर एक बैठक की। इस बैठक में प्रधान सचिव कृषि, डॉ. अरविंद कुमार पाढ़ी, कृषि निदेशक, शुभम सक्सेना और मिशन शक्ति निदेशक, मोनिका प्रियदर्शिनी शामिल हुए।
यह प्रोजेक्ट आईसीएआर के अल्ट्रा-लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाली चावल की किस्मों पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य सामान्य चावल की तुलना में कम जीआई वाला चावल पैदा करना है। पूरे भारत में अपनी तरह की पहली बाजरा फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कुल प्रोजेक्ट लागत 91,22,91,287 अनुमानित है, जो कम जीआई वाले चावल में 10-12 प्रतिशत प्रोटीन सामग्री वाले चावल को प्रोसेस करेगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े पैमाने पर कम जीआई वाले चावल और बाजरा का उत्पादन मधुमेह रोगियों और चावल पसंद करने वालों के लिए अधिक फायदेमंद होगा। इसी तरह, बड़े पैमाने पर बाजरा का उत्पादन स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है।
प्रधान सचिव, कृषि, डॉ. पाढ़ी ने कहा कि इस पहल का लक्ष्य अधिक लखपति दीदी (लाभार्थी) बनाना है क्योंकि एसएचजी सीधे इससे जुड़ेंगे और देश भर में पौष्टिक कम जीआई सामग्री वाली चावल की किस्मों को बढ़ावा देंगे।
स्पेशलिटी चावल और बाजरा फैक्ट्री के मुख्य पहलुओं में कम जीआई किस्मों का शुद्धिकरण और जारी करना, एकत्रीकरण, क्लस्टर उत्पादन और प्रोफाइलिंग सहित मार्केटिंग रणनीति शामिल है। आईआरआरआई (अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान) द्वारा एक मार्केट स्टडी की जाएगी और CFMS के माध्यम से वित्तीय निगरानी की जाएगी।
अन्य उपस्थित लोगों में ICAR से डॉ. वॉरियर, IRRI, OAIC, OUAT, IMAGE के प्रतिनिधि, कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।