मलकानगिरी के पूर्व कलेक्टर और आईएएस अधिकारी मनीष कुमार अग्रवाल को उनके निजी सहायक (पीए) देव नारायण पंडा की वर्ष 2019 में संदिग्ध मौत के मामले में मलकानगिरी एसडीजेएम कोर्ट ने जमानत दे दी है।
उनके वकील नृसिंह चरण मोहंती ने बताया कि उन्होंने सुबह कोर्ट में सरेंडर किया और जमानत की सुनवाई के लिए स्थानीय कोर्ट में पेश होने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन किया।
अग्रवाल को 50-50 हजार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी गई है। पिछले महीने उन्हें अपने निजी सहायक (पीए) की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी।
यह मामला तत्कालीन कलेक्टर मनीष अग्रवाल के निजी सहायक (पीए) देव नारायण पंडा की मौत से जुड़ा है। पंडा 27 दिसंबर, 2019 को ड्यूटी के दौरान लापता हो गए थे और अगले दिन उनका शव सतीगुडा बांध से बरामद किया गया था।
डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किए गए पोस्टमार्टम परीक्षण से यह निष्कर्ष निकला कि पंडा की मौत डूबने से हुई थी, जिसमें बाहरी चोट या हिंसा के कोई निशान नहीं थे। हालांकि, पंडा की पत्नी ने आरोप लगाया कि घटना के दिन उनके पति कलेक्टर के आवास पर गए थे और फिर कभी वापस नहीं लौटे, जिससे उनकी मौत के आसपास की परिस्थितियों पर संदेह पैदा होता है।
13 नवंबर, 2020 को पंडा की पत्नी ने उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसडीजेएम), मलकानगिरी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें अग्रवाल को अपने पति की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया। एसडीजेएम ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच करने का निर्देश दिया था।