लेखिका शोभा डे का कहना है कि वह लेखक के लिंग के आधार पर किताबों के बारे में पूर्वाग्रह नहीं पालती हैं। ‘सटॉरी नाइट्स’ की लेखिका ने ‘एपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल, 2020’ में कहा, ‘मैं महिलाओं की किताब बनाम पुरुषों की किताब में भरोसा नहीं करती। मैं जब कोई किताब उठाती हूं, तो मैं यह नहीं देखती कि वह महिला है अथवा पुरुष। मैं जो चाहती हूं, वह किताब पढ़ती हूं। मुझे लगता है कि यह दृष्टिकोण अधिक उचित है।’ साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी आगामी किताब काल्पनिक कहानी पर आधारित होगी और कल्पना पर आधारित उपन्यास लिखना तनाव दूर करने की प्रक्रिया हो सकता है, यह एक शानदार भावनात्मक अभ्यास है।जब उनसे ये पूछा गया यह कि एक किताब लिखते समय, उनके दिमाग में क्या चलता है सेकेंड थॉट्स और बॉलीवुड नाइट्स की लेखिका ने कहा कि ‘यह एक कल्पना है, यह एक प्रक्रिया है। उपन्यास का चरित्र मेरे रोजाना के जीवन का हिस्सा होना चाहिए, वह चरित्र मुझसे बात करे, मैं उसके शब्द सुन सकूं।’लेखिका ने कहा कि ‘हर कल्पना में एक कहानी होती है और हर लेखक का (कहानी सुनाने का) अपना अलग तरीका होता है।’ शोभा डे ने कहा कि हालांकि जब नॉन फिक्शन की बात आती है, तो ‘पत्रकारिता की पृष्ठभूमि, अनुसंधान और समाज का अवलोकन’ मुख्य होता है।