ओडिया बेटी ने माइक्रो आर्ट से जीता लोगों का दिल, सभ्यता को राष्ट्रीय-अंतरऱाष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना लक्ष्य

  • Jul 30, 2018
Khabar East:Odia-Micro-artist-Samantaray-became-popular--want-to-present-clture-on-National-or-International-level
भुवनेश्वर, 30 जुलाई:

ओडिशा की बेटी अपने राज्य की प्रमुखता एवं सभ्यता को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए एक संकल्प उठाई है। अपनी राज्य की आन-बान-शान को प्रस्तुत करने के लिए सुषरीता सामंतराय ने अपनी माइक्रो आर्ट (हस्तकला) के जादू से लोगों के दिलों में एक स्थान बना चुकी है। सामंतराय केवल कलम की सहायता से ऐसी तस्वीर बनाती है मानो की वह असल में उसका प्रतिबिम्ब है। सामंतराय ने चार धामों में से एक माने जाने वाला महाप्रभु जगन्नाथ मंदिरकोणार्क मंदिर एवं ऐसे सौकड़ो तस्वीर बनाई है। माइक्रो आर्ट के द्वारा तैयार की गई तस्वीर को देखने के बाद किसी भी व्यक्ति की निगाहें उस पर टिकी रहती है। वह उसे दोबारा देखना चाहता है। तस्वीर को जिस प्रकार से एक सफेद कागज पर उतारा जाता हैपहली झलक में लोग उसे कंप्यूटर द्वारा निकाली गई तस्वीर समझते हैं।

अबतक सामंतराय ने माइक्रो आर्ट के जादू से 4 सौ से अधिक तस्वीरों में मानों एक जीवन प्रदान किया है। कलम के द्वारा हस्तकला वास्तव में वर्णन से परे हैं।

रविवार को हुई विशेष बातचीत में सामंतराय ने कहा कि मैं अपने माता पिता के साथ भुनेश्वर में रहती हूं। कॉलेज के दिनों में खाली समय मिलने पर सफेद कागज पर तस्वीरें बनाया करती थी। कॉलेज में दिन ब दिन इस प्रकार से तस्वीर को एक रुप देने की आदत बन गई और वह आदत आज शौक में बदल गई है। सामंतराय ने कहा कि मैं जीव विज्ञान की छात्रा हूं और इसी कारण अपनी कला को माइक्रो आर्ट का नाम दिया है। मैं 2014 में मैंने इंस्टाग्राम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कलाकार की कार्यप्रणाली को देखावे सभी बड़े-बड़े आर्ट बनाते थे। मैंने सोचा कि मैं कुछ अलग करुं और तब से मैं कलम की सहायता से माइक्रो आर्ट करना आरंभ कर दिया। दिल्ली के जेएनयू में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और वहां पर मैंने साइंस और आर्ट को मिलाकर एक पोस्टर तैयार किया। हालांकि यह तस्वीर बनाना इतना आसान नहीं था इसके बावजूद चुनौतियों का सामना करते हुए इसे पूरा किया। प्रतियोगिता में हजारों की संख्या में प्रतिभागियों ने हिस्ता लिया था लेकिन मेरे पोस्टर को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया। इस पोस्टर के लिए मुझे सम्मानित भी किया गया। 21वीं सदी में लोग डीजिल का सहारा लेते हैं लेकिन मैं अपनी कला सम्मान देती हूं।

सामंतराय ने विस्तार पूर्वक कहा कि अब तक मैं 400 से अधिक तस्वीरों को आकार दे चुकी हूं। जिसे में अपने शब्दों में माइक्रो आर्ट कहती हूं। एक छोटी तस्वीर बनाने में मुझे दो घंटे का समय लगता है। मैं प्रतिदिन दो घंटे माइक्रो आर्ट के लिए समय देती हूं।

सामंतराय के माता-पिता को अपनी बेटी पर गर्व है। सामंतराय के पिता ने कहा कि मैं अपनी बेटी के माइको आर्ट से बेहद खुश हूं। मैं उसकी शौक को पूरा करने के लिए हर संभव मदद करने के लिए तैयार हूं।  

वास्तव में बिना किसी स्केल व किसी अन्य प्रकार के उपकरण की सहायता तस्वीर को रुप देना कठिन काम है।

हालांकि अगर आम तौर पर बात करें तो एक सर्कल बनाने के लिए हमें गणितीय उपकरण की आवश्यकता पड़ती है लेकिन सामंतराय तस्वीरों में छोटी से छोटी आकृति को कलम के साथ धैर्य व एकाग्रता से अपने काम को पूरा करती है।

 

Author Image

Khabar East