हिंदी, अंग्रेजी के अलावा सिर्फ गुजराती में जेईई-मेंस, ममता बनर्जी ने किया विरोध

  • Nov 06, 2019
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कोलकाता,06 नवंबरः

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में ऐडमिशन के लिए एक मात्र तरीका संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) है। इस साल से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा इसे सिर्फ हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती में कराया जा रहा है। इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के नेता विरोध में उतर आए हैं और उन्होंने इसे असंवैधानिक करार दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद और पार्टी की यूथ विंग के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा, 'संविधान कहता है कि सब बराबर हैं। फिर अंग्रेजी का विकल्प हिंदी और गुजराती ही क्यों हैं? जेईई (मेंस)-2020 की परीक्षा को बांग्ला समेत सभी क्षेत्रीय भाषाओं में कराया जाना चाहिए। भाषा को लेकर किसी भी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक है।'टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी इस फैसले का विरोध किया है। ममता बनर्जी ने कहा, 'मैं गुजरात भाषा से प्यार करती हूं, लेकिन बाकी भाषाओं को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है? अन्य भाषाओं के साथ अन्याय क्यों हो रहा है? अगर गुजराती में परीक्षा होती है तो बांग्ला समेत बाकी क्षेत्रीय भाषाओं में भी होनी चाहिए।' सीपीएम नेता डॉ. सुजान चक्रवर्ती ने इस फैसले की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, 'जेईई मेंस परीक्षा का पेपर सिर्फ तीन भाषाओं- हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती में ही कैसे हो सकता है? गुजरात की तुलना में बंगाल में दोगुना और महाराष्ट्र में तीन गुना परीक्षार्थी हैं। क्षेत्रीय भेदभाव की यह नीति खत्म होनी चाहिए।' कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि यह सब गुजराती का आधिपत्य स्थापित करने के लिए किया जा रहा है।

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