पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी का वाम दलों के साथ गठजोड़ 2021 के विधानसभा चुनावों में “बाजी पलटने वाली” साबित होगा और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को चेताया कि उनके लिये मुकाबला आसान नहीं होने वाला है। सीएम ममता बनर्जी के कटु आलोचक चौधरी ने कहा कि उनका ध्यान तृणमूल और भाजपा के वोट प्रतिशत में सेंध लगाने और प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को बहाल करने पर होगा। उन्होंने कहा कि दोनों दलों की “संप्रदायवादी राजनीति का काफी समय से असर” धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर देखा जा रहा है। तृणमूल सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति को बंगाल में भाजपा के उदय के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने प्रदेश में अगले साल अप्रैल-मई में संभावित विधानसभा चुनावों में कड़े त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद व्यक्त करते हुए उन बातों को दरकिनार किया कि त्रिकोणीय मुकाबले में आम तौर पर सत्ताधारी दल को फायदा होता है।
वहीं, तृणमूल और भाजपा के एक ही सिक्के का दो पहलू होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जानबूझ कर तुष्टीकरण की राजनीति का रास्ता अपनाया जिससे भगवा दल के इसके विपरीत ध्रुवीकरण की राजनीति करने का मार्ग प्रशस्त हो। उन्होंने दावा किया कि सत्ताधारी दल ने खुद को “मुसलमानों के मसीहा” के तौर पर पेश किया और भाजपा ने खुद को “हिंदुओं का रक्षक” बताया और उन्होंने कांग्रेस व वामदलों जैसी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को कमजोर किया।
चौधरी ने कहा, “हम गठबंधन को अंतिम रूप देने के कगार पर हैं। दोनों दलों के कार्यकर्ता भी गठबंधन के पक्ष में हैं।”कांग्रेस-वाम दल ने प्रदेश की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिये 2016 में हुए चुनावों में 76 सीटें जीतीं थीं जबकि टीएमसी को 211 और भाजपा को महज तीन सीटें मिलीं थीं।