मधुमेह से मुकाबले में समेकित देखभाल व सहयोगी वातावरण ज़रूरी

  • Nov 15, 2025
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भुवनेश्वर, 15 नवंबरः

कार्यस्थल पर सहायक वातावरण का निर्माण, समेकित (इंटीग्रेटेड) देखभाल पर ध्यान और सभी के लिए उचित स्वास्थ्य नीतियों का निर्माणये सभी मधुमेह के खिलाफ लड़ाई को मज़बूत कर सकते हैंएससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, कटक में एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. (डॉ.) अनोज कुमार बलियारसिंह ने कहा कि आज समस्या यह है कि मोटापे से ग्रस्त स्कूल के बच्चों में भी टाइप–2 डायबिटीज़ पाई जा रही है। केवल मधुमेह रोगियों का इलाज करने से यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती, इसलिए शुरुआती हस्तक्षेप की जरूरत है।

 उन्होंने कहा कि विश्व में मधुमेह के मरीजों की संख्या लगभग 589 मिलियन है, जिनमें भारत के 107 मिलियन मरीज शामिल हैं। वे यहां इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ और एसयूएम अस्पताल में विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या शहरी आबादी का लगभग 10.2 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण आबादी में यह 7 प्रतिशत है। पाकिस्तान में यह सबसे अधिक 37 प्रतिशत है। उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी के ज्ञात मामले तो बस एक झलक मात्र हैं।

 कार्यक्रम में सुबह मधुमेह जागरूकता के लिए आयोजित वॉकाथन भी शामिल था। कार्यक्रम को प्रो. (डॉ.) संगमित्रा मिश्रा, डीन, आईएमएस एवं एसयूएम अस्पताल; प्रो. (डॉ.) पुष्पराज समंतसिंहार, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट; प्रो. (डॉ.) ललित मेहर, मेडिसिन विशेषज्ञ; प्रो. (डॉ.) जयभानु कन्वर, एंडोक्रिनोलॉजी विभागाध्यक्ष; और प्रो. (डॉ.) समीर साहू, मेडिसिन विभागाध्यक्ष ने भी संबोधित किया।

 विश्व मधुमेह दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है, इंसुलिन के खोजकर्ता सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन के उपलक्ष्य में, जिन्हें इस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था, जिसने मधुमेह उपचार में क्रांति ला दी।

 प्रो. बलियरसिंह ने कहा कि उपचार करने वाले डॉक्टरों को अपने मरीजों के बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। सिर्फ 10 प्रतिशत क्लीनिकों में ही मधुमेह रोगियों के पैरों की जांच की जाती है, जबकि इससे बीमारी के कई लक्षणों का पता चल सकता है।

प्रो. मिश्रा ने मधुमेह से निपटने के लिए समग्र (होलिस्टिक) दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि आज किशोरावस्था में मधुमेह एक बड़ी समस्या बन गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) निवारक और प्रोत्साहनात्मक स्वास्थ्य देखभाल पर ज़ोर दे रहा है। प्रो. सामंतसिंहार ने कहा कि मधुमेह के खिलाफ जंग में हर स्तर पर जागरूकता आवश्यक है।

 प्रो. मेहर ने कहा कि मधुमेह एक बड़ी चुनौती है और यह हृदय रोग, किडनी फेलियर तथा आंखों को क्षति पहुंचने का प्रमुख कारण है और अब तक किए गए प्रयास आवश्यक परिणाम नहीं दे पाए हैं।

प्रो. कन्वर ने कहा कि मधुमेह की रोकथाम ही इसका एकमात्र समाधान है और मुख्य लक्ष्य ऐसा कार्यस्थल वातावरण बनाना होना चाहिए जहां मधुमेह से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव न किया जाए। उन्होंने कहा कि भेदभाव के कारण ही कई लोग अपनी बीमारी छिपाने की कोशिश करते हैं।

प्रो. साहू ने बताया कि इंसुलिन की खोज से पहले मधुमेह का उपचार भूखमरी (स्टार्वेशन) के रूप में किया जाता था, जिसमें मरीजों को प्रतिदिन केवल 150 कैलोरी भोजन की अनुमति होती थी।

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