पटना हाईकोर्ट ने पटना नगर निगम की महापौर सीता साहू और उनके बेटे शिशिर कुमार को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति शैलेन्द्र सिंह की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से 22 अगस्त 2025 तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरीय अधिवक्ता अंशुल ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह प्राथमिकी पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध की उपज है और इसमें जो धाराएं लगाई गई हैं, वे जमानतीय हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा की गई छापेमारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य के फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है। इस एफआईआर के अनुसार 11 जुलाई को नगर निगम की आमसभा के दौरान महापौर और नगर आयुक्त के बीच विवाद हुआ था जिसके बाद एक पार्षद ने गांधी मैदान थाने में मामला दर्ज कराया।
महापौर के अनुसार 12 जुलाई की रात पुलिस ने बिना किसी वारंट के उनके सरकारी आवास पर छापा मारा, जबकि परिवार उस समय एक पारिवारिक समारोह में व्यस्त था। इसके बाद 14 जुलाई को उनके बेटे शिशिर कुमार के झारखंड स्थित ससुराल में भी पुलिस ने छापेमारी की। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रभु नारायण शर्मा ने बताया कि प्राथमिकी में आर्म्स एक्ट की धाराएं भी शामिल हैं, जिसे लेकर कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एफआईआर की प्रति न्यायालय में प्रस्तुत की जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किन धाराओं में मामला दर्ज है।
हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि गांधी मैदान थाना कांड संख्या 403/2025 की निष्पक्ष और त्वरित जांच सुनिश्चित की जाए। यह जांच एसपी रैंक के वरिष्ठ अधिकारी से करवाई जाए। इसके अलावा घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज को पेनड्राइव में कोर्ट में प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 22 अगस्त 2025 को होगी।