बालेश्वर जिले में हाल ही में हुए रेल हादसे में मरने वालों के शवों के लिए स्थानीय प्रशासन नें अस्थायी मुर्दाघर यानी बहानागा हाई स्कूल को चुना था। अब उसी हाई स्कूल को गिराने की पहल शुरू की गई है। इसकी जानकारी अधिकारियों ने दी है।
स्थानीय तहसीलदार, बीडीओ व स्कूल प्रबंधन समिति की मौजूदगी में सरकारी स्कूल को तोड़ा जा रहा है। स्कूल की इमारत को गिराने का फैसला तब लिया गया जब छात्रोंने 16 जून को गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल जाने से मना कर दिया। उन्हें 'भूत' का डर था क्योंकि सैकड़ों यात्रियों के शव को स्कूल परिसर में ही रखा गया था।
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जिला कलेक्टर दत्तात्रेय भाऊसाहेब शिंदे और अन्य अधिकारियों ने कल बहनागा का दौरा किया और स्थानीय लोगों से भय और अंधविश्वास नहीं फैलाने की अपील की।
दुर्घटना स्थल से 65 साल पुराने हाई स्कूल की निकटता, बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर स्थित है, पिछले सप्ताहांत बचाव कार्यों की देखरेख करने वाले अधिकारियों ने बालेश्वर और भुवनेश्वर में अस्पताल के मुर्दाघर में ले जाने से पहले 250 से अधिक शवों के लिए इसे अस्थायी आश्रय के रूप में चुना। सूत्रों ने कहा कि छह कक्षाओं और हॉल का इस्तेमाल शवों को रखने के लिए किया गया था।