कांग्रेस नेता और कांटाबांजी विधायक संतोष सिंह सलूजा को 15 दिन के भीतर जान से मारने की धमकी मिली है। बलांगीर जिले में सोमवार की सुबह धमकी भरे कई पोस्टर और बैनर मिले हैं। धमकी वाले जो बैनर और पोस्टर मिले हैं उन पर एक आदमी की तस्वीर है, लेकिन उसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। उस अज्ञात व्यक्ति ने लिखा है कि मैं 15 दिन के अंदर संतोष सिंह सलूजा की हत्या कर दूंगा।
इस संबंध में कांग्रेस नेता सलूजा ने कहा कि मुझे मीडिया के माध्यम से ही इस बारे में पता चला है। यह अजीब है कि ऐसे समय में जब मैं कांटाबांजी निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए घूम रहा हूं, किसी ने मुझे जान से मारने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि कांटाबांजी का विकास नहीं रुक सकता। मैं मौत से नहीं डरता। अगर एक सलूजा मरेगा, तो कई और पैदा होंगे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं पुलिस से आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने और कांटाबांजी निर्वाचन क्षेत्र के विकास से मुझे दूर रखने की कोशिश का पर्दाफाश करने का अनुरोध करूंगा। यह मुझे हतोत्साहित करने के लिए दी गई एक राजनीतिक धमकी की तरह लगता है।
सलूजा के भाई बरियाम ने मांग की है कि कांटाबांजी में व्यापारिक प्रतिष्ठान और दुकानदार डरे हुए थे। वे अपने कार्यालय और दुकानें नहीं खोलना चाहते थे। इसलिए हमने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। हम इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं।
कांटाबांजी पुलिस ने सभी बैनर जब्त कर लिए हैं और आरोपियों को पकड़ने के लिए जांच शुरू कर दी है।
इस संबंध में कांटाबांजी के एसडीपीओ गौरांग चरण साहू ने कहा कि खबर मिलने के तुरंत बाद हम मौके पर गए और पोस्टर जब्त कर लिए हैं। हमने पहले ही इस संबंध में जांच शुरू कर दी है। हम सलूजा के परिवार से बात कर रहे हैं। अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। उसके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि सलूजा पर इससे पहले 2015 में कांटाबांजी के बाहरी इलाके में धारदार हथियार से हमला किया गया था। हालांकि हमले के पीछे संपत्ति को लेकर विवाद होने का संदेह किया गया था। लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई।
सलूजा ने हमले के पीछे सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे कांटाबांजी के स्थानीय बीजेडी विधायक अयूब खान का हाथ है।
बता दें कि बंगोमुंडा, खपराखोल और तुरकेला समेत कांटाबांजी के आसपास के इलाके माओवादियों से प्रभावित हैं। इसलिए इस मामले में माओवादी खतरे से भी इनकार नहीं किया जा सकता।