भुवनेश्वर में वायु प्रदूषण स्तर लगातार सात दिनों से ‘खराब’ श्रेणी में बना हुआ है, जिससे पर्यावरण विशेषज्ञों और ओडिशा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (OSPCB) में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि नवंबर महीने में वायु गुणवत्ता में इस तरह की गिरावट असामान्य और चिंताजनक है। ओएसपीसीवी अधिकारियों के अनुसार, ओडिशा में वायु गुणवत्ता आमतौर पर चरम सर्दियों के दौरान—15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच—बिगड़ती है, जब ठंडी और स्थिर हवा प्रदूषकों को जमीन के करीब रोक कर रखती है।
हालांकि, इस वर्ष प्रदूषण स्तर काफी पहले ही बढ़ने लगा है और नवंबर में ही कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
अधिकारी इस गिरावट का मुख्य कारण सर्दियों की समयपूर्व शुरुआत को मान रहे हैं, जिसमें तापमान में कमी और हवा की गति कम होने से वायुमंडल में प्रदूषकों का जमाव बढ़ गया है।
भुवनेश्वर के अलावा कटक, अंगुल, बालेश्वर, तालचेर और कलिंगनगर जैसे शहरों में भी इस महीने AQI स्तर निम्न श्रेणी में दर्ज किए गए हैं।
ओएसपीसीबी ने इस रुझान पर चिंता जताई है और प्रदूषक स्तरों की बारीकी से निगरानी कर रहा है। बोर्ड वर्तमान नियंत्रण उपायों की समीक्षा कर सकता है और यदि प्रदूषण बढ़ता रहा तो नई सलाह भी जारी कर सकता है।
इस विषय पर बोलते हुए ओएसपीसीबी के सदस्य सचिव उमा नंदूरी ने कहा कि सामान्य तौर पर सर्दियों में वातावरण की स्थिरता के कारण प्रदूषण स्तर अधिक रहता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह उद्योगों या वाहनों के प्रदूषण में बढ़ोतरी को दर्शाता है। यह एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है।
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों और बुजुर्गों को सुबह बाहर घूमने से बचना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो मास्क पहनना अनिवार्य है। आने वाले 15 दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है। लेकिन हमें मिलकर AQI स्तर को 180–200 के बीच लाने का प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने निवासियों से अपील की है कि वे सुबह और देर शाम के समय बाहर जाने से परहेज़ करें, विशेषकर बच्चे, बुजुर्ग और सांस संबंधी समस्याओं वाले लोग।