बिहार और नेपाल में लगातार हो रही बारिश के बाद मुजफ्फरपुर जिले से होकर गुजरने वाली बागमती नदी का जलस्तर कई दिनों से लगातार बढ़ रहा है। कटरा प्रखंड के कई गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से प्रवेश कर चुका है। लोगों के घरों में कई फिट तक पानी भर गया है, जिससे स्थानीय निवासियों को अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर पलायन करना पड़ रहा है। कुछ लोग तो अपने छतों पर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों की सबसे बड़ी चिंता बच्चों और मवेशियों के लिए भोजन का इंतजाम है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि वे स्वयं तो किसी तरह जीवित रह सकते हैं, लेकिन बच्चों की भूख और पशुओं की देखभाल सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। कई परिवार सड़क किनारे टेंट लगाकर ही रहने को मजबूर हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के इस संकट में अनुपस्थित रहने से लोगों में साफ तौर पर आक्रोश नजर आ रहा है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि घरों में पानी प्रवेश कर गया है, लेकिन विधायक, सांसद या स्थानीय प्रतिनिधि अब तक उनकी तकलीफ़ देखने या राहत देने नहीं पहुंचे। यह लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता स्थानीय लोगों के गुस्से का मुख्य कारण बन रही है। दूसरी ओर, जिला प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है।
बागमती नदी के बढ़ते जलस्तर के बीच कटरा प्रखंड के कुछ गांवों में पानी प्रवेश के मद्देनजर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को अलर्ट मोड में रखा गया है। अभियंता लगातार तटबंध की निगरानी में लगे हुए हैं और अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे तटबंधों और प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का लगातार जायजा लें। मौजूदा हालात में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल की कमी साफ़ दिखाई दे रही है। स्थानीय लोग प्रशासनिक इंतजामों को लेकर संतुष्ट नहीं हैं और चाहते हैं कि राहत एवं बचाव कार्य तुरंत प्रभाव से शुरू किया जाए। बाढ़ से प्रभावित परिवारों का जीवन अब जलस्तर पर निर्भर हो गया है, और राहत सामग्री, भोजन और सुरक्षित ठिकाने की व्यवस्था उनकी पहली प्राथमिकता बन चुकी है।