भारत में आठ देशों के राजनयिकों और प्रतिनिधियों ने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं को आगे बढ़ाकर सशक्त बनाना एक रणनीतिक आवश्यकता है, जिससे समावेशी संस्कृति का विकास होगा और सुशासन मजबूत होगा।
सोआ डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘रीडिफाइनिंग लीडरशिप: द राइज़ ऑफ़ वीमेन इन ग्लोबल गवर्नेंस’ को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विकास और सुशासन के लिए आवश्यक है कि संरचनात्मक बाधाओं को दूर किया जाए और महिलाओं को समान अवसर दिए जाएं, ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता के साथ आगे बढ़ सकें।
स्पेन के राजदूत जुआन एंतोनियो मार्क पुजोल ने कहा कि शासन में महिलाओं की भागीदारी आवश्यक है और उन्हें पूर्ण रूप से शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि वे जहां भी होती हैं, नवाचार और दृढ़ता लेकर आती हैं। मानवीय गरिमा को शासन का केंद्र होना चाहिए और यह स्वीकार करना चाहिए कि नेतृत्व केवल कुछ लोगों की जिम्मेदारी नहीं है, यह समावेशी और सहृदय होना चाहिए।
सम्मेलन की अध्यक्षता सोआ के कुलपति प्रो. प्रदीप्त कुमार नंद ने की। अन्य वक्ताओं में गुयाना के राजदूत धर्मकुमार सीराज, अल्जीरिया के राजदूत डॉ. अब्देनोर केलेफ़ी, मालदीव की उच्चायुक्त ऐशेथ अज़ीमा, सेशेल्स की उच्चायुक्त हरिसोआ ललातियाना अकूश, गुयाना दूतावास के फर्स्ट सेक्रेटरी केशव प्रसाद तिवारी, तिमोर लेस्ते दूतावास के सेकंड सेक्रेटरी एंटोनियो मारिया डी जीसस डॉस सैंटोस और बोलीविया दूतावास की काउंसलर अर्लेट गैब्रिएला बुस्टामांते गार्सिया शामिल थे। सोआ की प्रो-वाइस चांसलर प्रो. नीता मोहंती ने अतिथियों का स्वागत किया।
समानता की दिशा में छोटे देशों का बड़ा कदम
गुयाना के राजदूत सीराज ने इसे एक रोचक विषय बताते हुए कहा कि 8 लाख आबादी वाला छोटा देश गुयाना, शासन में समानता और संतुलन लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जहां महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण में निवेश कर रही है।
उन्होंने शोध का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान गति से आगे बढ़ने पर लैंगिक समानता हासिल करने में अभी 130 वर्ष और लगेंगे। लगभग 90,000 महिलाओं को गुयाना में विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने बताया कि देश की 37 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है।
अल्जीरिया, मालदीव और सेशेल्स ने साझा किए अपने अनुभव
अल्जीरिया के राजदूत डॉ. अब्देनोर केलेफ़ी ने कहा कि उनके देश की महिलाओं ने नेतृत्व में असाधारण साहस दिखाया है और सरकार ने उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करने के लिए कई साहसिक कदम उठाए हैं। “अल्जीरिया के 50 प्रतिशत जज महिलाएं हैं और विश्वविद्यालयों में 63 प्रतिशत छात्राएं हैं।
मालदीव की उच्चायुक्त ऐशेथ अज़ीमा ने कहा कि उनके देश में परंपरागत रूप से महिलाएं समाज की रीढ़ रही हैं और जलवायु परिवर्तन के पक्ष में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। ऐसा कोई पद नहीं है जहां महिलाएं न पहुंच सकें और यह भी कि ऐसे सम्मेलन एक अधिक सक्षम और संवेदनशील विश्व के निर्माण में सहायक होंगे।
सेशेल्स की उच्चायुक्त हरिसोआ ललातियाना अकूश ने कहा कि नेतृत्व का निर्धारण लिंग से नहीं, बल्कि दृष्टि, दृढ़ता और सहानुभूति से होता है। उन्होंने बताया कि हाल ही में शपथ लेने वाली नई सरकार में 14 मंत्रियों में से 8 युवा महिलाएं हैं और 35 वर्षीय महिला राष्ट्रीय विधानसभा की स्पीकर हैं। कार्यक्रम के अंत में सोआ के डीन (छात्र कल्याण) प्रो. ज्योति रंजन दास ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।