मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंगलवार को लोक सेवा भवन में ‘मोंथा’ चक्रवात की तैयारियों की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि “शून्य जनहानि” (Zero Casualties) को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। यद्यपि फिलहाल चक्रवात आंध्र प्रदेश को प्रभावित कर रहा है, लेकिन ओडिशा के कई जिलों, विशेषकर दक्षिणी क्षेत्र में, भारी वर्षा और तेज़ हवाओं की आशंका है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसी भी निवासी को खतरे वाले क्षेत्रों में न छोड़ा जाए और सभी को चक्रवात-बाढ़ आश्रयों या अन्य सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले वर्ष आए चक्रवात ‘दाना’ के दौरान ओडिशा ने सफलतापूर्वक लोगों को सुरक्षित निकाला था और शून्य जनहानि हासिल की थी। उन्होंने कहा कि समय पर निकासी सबसे अहम रणनीति है।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि चक्रवात के बाद आवश्यक सेवाओं को तुरंत बहाल करने और गिरे हुए पेड़ों से सड़कों को अवरुद्ध होने से रोकने के लिए पूरी तरह तैयार रहें। कृषि विभाग को फसलों के नुकसान का आकलन करने और किसानों को समय पर सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि यह फसल कटाई का मौसम है।
राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी की अध्यक्षता में पिछले तीन दिनों से लगातार समीक्षा बैठकें हो रही हैं ताकि आपदा तैयारी को मजबूत किया जा सके। मुख्यमंत्री ने प्रभागीय सचिवों और जिला कलेक्टरों से सभी व्यवस्थाओं की कड़ी निगरानी करने को कहा।
विशेष राहत आयुक्त देवरंजन कुमार सिंह, डीजीपी योगेश बहादुर खुरानिया और विभिन्न विभागों के सचिवों ने मुख्यमंत्री को विभागीय तैयारियों की जानकारी दी।
संभावित चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले आठ जिले हैं गंजाम, गजपति, रायगड़ा, कोरापुट, मलकानगिरी, कंधमाल, कलाहांडी और नरंगपुर। अब तक 11,396 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है, जबकि 30,554 और लोगों को स्थानांतरण के लिए तैयार रखा गया है। 2,693 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में स्थानांतरित किया जा रहा है।
चक्रवात से निपटने के लिए 30 ओडीआरएफ टीमें, 5 एनडीआरएफ टीमें और 123 फायर ब्रिगेड दस्ते तैनात किए गए हैं, जबकि अतिरिक्त दलों को अलर्ट पर रखा गया है। प्रभावित जिलों के स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र 30 अक्टूबर तक बंद रहेंगे, आवश्यकता पड़ने पर अवधि बढ़ाई जा सकती है।
विभागों को बिजली और पेयजल आपूर्ति को निर्बाध बनाए रखने के लिए निर्देशित किया गया है। सभी आवश्यक सेवा संस्थानों में डीजी सेट्स की व्यवस्था की गई है। प्रभावित क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां, एंटी-स्नेक वेनम सीरम और इलाज किट उपलब्ध हैं।पर्यटकों को 31 अक्टूबर तक तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों में जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है।
बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी, मुख्य सचिव मनोज आहुजा,विकास आयुक्त सह अतिरिक्त मुख्य सचिव अनु गर्ग,अतिरिक्त मुख्य सचिव देवरंजन कुमार सिंह और सत्यब्रत साहू, डीजीपी योगेश बहादुर खुरानिया तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। जिला कलेक्टरों ने वर्चुअल माध्यम से समीक्षा बैठक में भाग लिया।