लालू-राबड़ी राज के बाद जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो अच्छी सड़कें इस राज्य की पहचान बनीं। कई सड़कें चकाचक हुई और हिचकोलों से लोगों को मुक्ति मिली। कई सड़कें अब भी अच्छी है, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन ‘डबल इंजन’ की सरकार होते हुए भी कुछ सड़कों की स्थिति रखरखाव और मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर होती जा रही है। कुछ सड़कों की स्थिति ऐसी हो गई है कि हाईकोर्ट को इनकी दुर्दशा पर नाराजगी प्रकट करना पड़ रहा है। मंगलवार को एक बार फिर पटना हाईकोर्ट ने राज्य की विभिन्न सड़कों की दुर्दशा पर नाराजगी जताई और कहा कि बगैर अच्छी सडकों के बिहार में पर्यटनस्थलों का विकास कैसे होगा। चीफ़ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ गौरव कुमार सिंह और अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने एनएचएआई को राज्य में राष्ट्रीय उच्चपथों की संख्या और स्थिति का विस्तृत ब्योरा भी अगली सुनवाई में देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि बगैर सड़कों की हालत सुधारे पर्यटन का विकास नहीं हो सकता है। कोर्ट ने पटना-गया रोड़ की मरम्मत की धीमी गति पर भी नाराजगी जाहिर की।कोर्ट ने कहा कि अच्छी सडकों का सीधा संबंध पर्यटनस्थलों के विकास और बिहार के लोगों को रोजगार उपलब्ध होने से है। कोर्ट को बताया गया कि सोनपुर-छपरा सड़क के लिए भूमि का अधिग्रहण 2008 में ही कर लिया गया था, लेकिन अब तक सड़क का निर्माण नहीं किया गया है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।