ओडिशा विधानसभा में अपने पहले राष्ट्रपति संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जनप्रतिनिधित्व के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि लोग आपको कई सपनों के साथ भेजते हैं। उनके चेहरे पर मुस्कान लाना आपका कर्तव्य है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार जनता के हाथों में है और आप उनके प्रतिनिधि हैं। उन्होंने आपको बहुत आशा और उम्मीद के साथ भेजा है। उनके सपनों और उम्मीदों को पूरा करना आपका दायित्व है। आप ऐसा काम करें जिससे जनता को लाभ मिले। जनता के प्रतिनिधि के रूप में आप समाज में पहचाने जाते हैं। इसलिए आपके शब्द और आपके कार्य क्या हैं, यह जानना आवश्यक है। आपका व्यवहार और आपकी वाणी बहुत मूल्यवान है। आप जो करेंगे, जनता उसी का अनुकरण करेगी।
उन्होंने विधानसभा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की प्रशंसा की और कहा कि एक महिला स्पीकर द्वारा सदन का संचालन किया जाना गर्व की बात है।
मुर्मू ने ओडिशा की क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि ओडिशा हर तरह के संसाधनों से भरा है। इसलिए ओडिशा को एक अग्रणी राज्य बनाया जा सकता है। उन्होंने 2036 तक एक समृद्ध ओडिशा के निर्माण का संकल्प लेने का आग्रह किया और कहा कि विधायकों को राज्य की प्रगति को अपना व्यक्तिगत व्रत समझना चाहिए।
भावुक होते हुए मुर्मू ने अपने विधायक और मंत्री के दिनों को याद किया और कहा कि मैंने इस सदन में विधायक के रूप में प्रश्न पूछे हैं। मैंने इस सदन में मंत्री के रूप में प्रश्नों के उत्तर दिए हैं।
उन्होंने भगवान जगन्नाथ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद के बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच सकती थी।
मुर्मू ने ओडिशा के ऐतिहासिक नेताओं—महताब और बीजू पटनायक—को भी श्रद्धांजलि दी और राज्य के विकास में उनके योगदान का उल्लेख किया।
उनका यह संबोधन ओडिशा विधानसभा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण रहा, जिसने विधायकों को विकसित भारत के निर्माण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।