शोधार्थियों की क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सामाजिक विज्ञान में शोध पद्धति पर 10 दिवसीय कार्यशाला सोमवार को शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी (एसओए) में शुरू हुई है। सोआ के संरक्षण, प्रसार और भारत की प्राचीन संस्कृति और विरासत के पुनरुद्धार (पीपीआरएसीएचआईएन) की प्रमुख प्रोफेसर गायत्रीबाला पंडा ने कहा कि कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य शोधार्थियों को उनके शोध कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करना है, ताकि वे सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) द्वारा प्रायोजित और पीपीआरएसीएचआईएन द्वारा आयोजित कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से सामाजिक विज्ञान और मानविकी पृष्ठभूमि से आए 40 शोधार्थी भाग ले रहे हैं।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख प्रो.आर.शिव प्रसाद, जो उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, ने शोध पद्धति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे शोध की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर, सभी विषय एक हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि शोध पद्धति में प्रशिक्षण हमें तथ्यों को अलग तरह से देखने में मदद करता है।
शोध में विश्वसनीयता की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रो. प्रसाद ने कहा कि कोई भी शोध किसी एक व्यक्ति के प्रयास से नहीं हो सकता, क्योंकि यह हमेशा एक सहयोगात्मक प्रयास होता है।
सोआ के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार नंद, जिन्होंने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की, ने कहा कि सोआ शोध पद्धति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसे विश्वविद्यालय में सभी शोध कार्यों के लिए आदर्श बना दिया गया है।
प्रो. नंद ने कहा कि रचनात्मकता और अभिनव सोच ने शोध में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिसे व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
यह बताते हुए कि पीएचडी की डिग्री प्राप्त करना शोध का अंत नहीं है, उन्होंने कहा कि डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने का मतलब केवल यह है कि व्यक्ति अब अधिक शोध करने के लिए सोचने और करने के लिए प्रशिक्षित है।
कार्यशाला का उद्देश्य सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों को कठोर शोध प्रयासों के लिए तैयार करना, अपने निष्कर्षों को प्रतिष्ठित अकादमिक पत्रिकाओं में सफलतापूर्वक प्रकाशित करना तथा अपने-अपने क्षेत्रों में ज्ञान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना था।
पीपीआरएसीआईएन में मानव विज्ञान एवं जनजातीय अध्ययन के एसोसिएट प्रोफेसर तथा कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. निहार रंजन मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।