श्रीक्षेत्र पुरी में रविवार को भगवान जगन्नाथ का सुनावेश देखने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। पवित्र शहर पुरी में लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा - को लगभग 208 किलोग्राम वजन के सोने के आभूषणों से सजे हुए देखने के लिए पहुंचे थे।
सैकड़ों किलोग्राम सोने के आभूषणों से जगमगाते पवित्र त्रिदेव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिसके कारण पुरी और उसके आसपास भारी यातायात जाम हो गया।
इससे पहले दिन में ओडिशा पुलिस ने पुरी आने वाले श्रद्धालुओं को अलर्ट किया था कि शहर में निर्धारित पार्किंग स्थल अधिकतम क्षमता तक पहुंच चुके हैं।
पुरी जाने वाले तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले वाहनों को बटगांव और मालतीपाटपुर में कुछ घंटों तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी जा रही है।
ओडिशा पुलिस ने बताया कि फिलहाल भुवनेश्वर से पुरी की ओर वाहनों की अत्यधिक भीड़ है। बटगांव में प्रतीक्षा समय लगभग दो घंटे है। सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे अपनी यात्रा की योजना इसी के अनुसार बनाएं।
पुलिस ने सभी से यातायात संबंधी सलाह का पालन करने और ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के साथ सहयोग करने का अनुरोध किया।
स्थानीय ओडिया भाषा में 'सुना वेश'अथवा 'राजराजेश्वर वेश' के नाम से जाने जाने वाले विशेष अनुष्ठान के दौरान देवताओं को सोने से बने हाथ, पैर, विभिन्न आकृतियों और शैलियों के सोने के मोतियों की माला, सोने का मुकुट, सोने का चक्र या डिस्कस, चांदी का शंख, सोने का हल और मूसल से सजाया गया है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने पहले घोषणा की थी कि भक्त रविवार को शाम 6.30 बजे से रात 11 बजे तक देवताओं के दर्शन कर सकते हैं।
रथों पर बैठे पवित्र भाई-बहनों की ‘सुना वेश’ रस्म 1460 ई. में मंदिर के एक प्रमुख सेवक ‘तधौ करण’ के अनुरोध पर गजपति राजा कपिलेंद्र देव के शासनकाल के दौरान शुरू हुई थी।
कुछ दक्षिणी भारतीय शासकों के साथ युद्ध से विजयी होकर लौटे राजा ने अपने साथ लाए गए सोने, हीरे और अन्य कीमती आभूषणों से भरी गाड़ियां मंदिर में दान कर दीं।