सम न्यूरोसर्जन ने 8 महीने के बच्चे से विशाल मेनिंगोमाइलोसेले का किया सफलतापूर्वक ऑपरेशन

  • Jul 11, 2023
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भुवनेश्वर,10 जुलाई:

इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और सम अस्पताल के न्यूरोसर्जनों ने 8 महीने के एक बच्चे का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है, जो एक विशाल मेनिंगोमाइलोसेले के साथ पैदा हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है।

बच्चे की पीठ पर 4300 वर्ग सेमी आयतन का एक विशाल पिंड बन गया जिसे विशाल मेनिंगोमाइलोसेले कहा जाता है। बच्चे के माता-पिता विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराने में असमर्थ रहे और बाद में सम अस्पताल पहुंचे। बच्चे की सर्जरी न्यूरोसर्जन प्रोफेसर (डॉ.) अशोक कुमार महापात्रा की देखरेख में की गई। प्रोफेसर (डॉ.) महापात्र, जिन्होंने 4,000 से अधिक ऐसी सर्जरी की है, ने कहा कि उन्होंने पहले कभी इतने बड़े आकार के मेनिंगोमाइलोसाइल्स नहीं देखे थे।

जन्म के समय शिशु के शरीर की मांसपेशियाँ बहुत छोटी होती हैं। लेकिन इलाज में देरी के कारण इसका आकार बढ़ता गया। 2015 में 2300 वर्ग सेमी की ऐसी समस्या वाले एक बच्चे का एम्स, नई दिल्ली में ऑपरेशन किया गया था। शिक्षा और अनुसंधान (सोआ) के प्रधान सलाहकार (स्वास्थ्य विज्ञान) प्रोफेसर (डॉ.) महापात्र ने कहा कि इतने बड़े आकार की मांसपेशी पृथ्वी पर पहले कभी नहीं देखी गई है।

इस रोग की चिकित्सीय समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रोफेसर (डॉ.) महापात्रा ने बताया कि गर्भावस्था के एक महीने के भीतर गर्भाशय में एक इंच की न्यूरल ट्यूब बन जाती है, जो आगे चलकर सुसुम्नाकंद में विकसित हो जाती है। यदि यह किसी कारण से फट जाए तो उस स्थान से तरल पदार्थ निकल जाता है।

इन पदार्थों के साथ-साथ शरीर के पिछले हिस्से के पास बहुत सारे तंत्रिका ऊतक भी जमा हो जाते हैं और धीरे-धीरे आकार में बढ़ते जाते हैं। "यह एक दुर्लभ समस्या है," उन्होंने कहा। सर्जरी 3 सप्ताह से भी कम समय में की गई और इसमें 3 से 4 घंटे लगे। प्रोफेसर महापात्रा ने कहा, बच्चा अब खतरे से बाहर है, जो इस समस्या के कारण टखनों से नीचे तक लकवाग्रस्त हो गया था।

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सम अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) सौभाग्य पाणिग्रही ने कहा कि ऐसी सर्जरी आईएमएस और सम अस्पताल में नियमित रूप से की जा रही है। उन्होंने बताया कि संबंधित बच्चे की सर्जरी राज्य सरकार की बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना (बीएसकेवाई) के तहत की गयी।

संबंधित विभाग के न्यूरोसर्जन प्रोफेसर (डॉ.) रामचंद्र देव ने कहा कि ऐसी समस्याओं के इलाज के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत है। कई लोग इस सर्जरी को कराने से कतराते हैं क्योंकि इस सर्जरी से रक्तस्राव का खतरा रहता है जिससे समस्या का ठीक से इलाज नहीं हो पाता है।

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