अपराध पर अंकुश लगाने वाला मॉडल राज्य बनेगा ओडिशाः डीजीपी

  • Oct 24, 2025
Khabar East:State‑Level-Conference-On-Human-Trafficking-DGP-Vows-To-Make-State-A-Model-In-Curbing-Crime
भुवनेश्वर,24 अक्टूबरः

ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) योगेश बहादुर खुरानिया ने शुक्रवार को पुलिस भवन में मानव तस्करी पर राज्यस्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में मानव तस्करी अब केवल ओडिशा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

अपने संबोधन में डीजीपी ने न्यायपालिका, पुलिस, महिला एवं बाल संरक्षण इकाइयों, श्रम विभाग, एनजीओ और नागरिक समाज के सदस्यों को एकजुट होकर इस घृणित अपराध को रोकने के लिए सामने आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि ओडिशा मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में एक मॉडल राज्य बन सके।

डीजीपी के अनुसार, मानव तस्करी केवल एक अपराध नहीं है, यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। यह विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और युवाओं की गरिमा, स्वतंत्रता और भविष्य छीन लेती है। ओडिशा में मानव तस्करी विभिन्न रूपों में देखने को मिलती है जैसे कि यौन शोषण, जबरन श्रम, घरेलू बाल श्रम और नौकरी या विवाह के बहाने युवतियों का तस्करी करना।

 डीजीपी ने कहा कि इंटीग्रेटेड एंटीह्यूमनट्रैफिकिंग यूनिट (आईएएचटीयू) और जिला श्रम अधिकारी मानव तस्करी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आईएएचटीयू अधिकारी जांच और बचाव अभियानों की रीढ़ हैं। आगे बढ़ते हुए, हमारा लक्ष्य आईएएचटीयू को और मजबूत करना, इसके मानव संसाधनों को बढ़ाना, विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना और तकनीकी विशेषज्ञता को निखारना है। तस्करी प्रभावित राज्यों के साथ समन्वय भी बढ़ाया जाएगा, ताकि व्यापक और सुनियोजित कार्रवाई की जा सके। आने वाले दिनों में, हम तकनीक, डिजिटल ट्रैकिंग, डेटा एनालिटिक्स और निगरानी के माध्यम से तस्करी नेटवर्क तोड़ेंगे - यही हमारा मुख्य लक्ष्य है।

ध्यान देने योग्य है कि इस वर्ष ओडिशा पुलिस ने ऑपरेशन अन्वेषण शुरू किया। इस अभियान में 1,209 लापता बच्चों (131 लड़के और 1,078 लड़कियां) को बचाया गया। इसके अलावा अब तक 6,667 लापता महिलाओं को भी सुरक्षित बचाया गया है। डीजीपी ने कहा कि आने वाले दिनों में ओडिशा पुलिस इस अभियान का विस्तार करेगी।

 सम्मेलन में डॉ. पीएम नायर (सेवानिवृत्त DGP, NDRAF) ने मानव तस्करी के विभिन्न पहलुओं, इसके बदलते स्वरूप और इसके मुकाबले की रणनीतियों पर प्रकाश डाला। उमा डैनियल (निदेशक, माइग्रेशन और शिक्षा) ने भी बात की और पुलिस, श्रम विभाग, जिला प्रशासन, सामाजिक कल्याण विभाग और एनजीओ के बीच समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि तस्करी किए गए श्रमिकों को बचाया, पुनर्वासित और कानूनी सहायता प्रदान की जा सके

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रवि कांत ने लापता बच्चों को बचाने, उन्हें परिवार और समाज के साथ पुनः मिलाने, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और नए जीवन की शुरुआत देने के महत्व पर जोर दिया। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय के डिप्टी कमांडेंट संजय कुमार ने मानव तस्करी और साइबरदासता पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे लोग इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के माध्यम से जबरन श्रम या ऑनलाइन आधारित अपराध में फंसा दिए जाते हैं।

 अमित कुमार नाग, लीड लीगल प्रोग्राम पार्टनरशिप, इंटरनेशनल जस्टिस मिशन, ने नागरिक समाज स्थानीय संगठन, एनजीओ, सामुदायिक समूह और सतर्क नागरिकों - की मानव तस्करी से मुकाबले में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

 डीजीपी क्राइम ब्रांच विनयतोश मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि आईजीपी (महिला एवं बाल अपराध रोकथाम विंग) अविनाश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। विभिन्न जिलों की इंटीग्रेटेड एंटीह्यूमनट्रैफिकिंग यूनिट (IAHTU) के अधिकारी भी सम्मेलन में शामिल हुए।

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