बिहार ने एक बार फिर कृषि क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान स्थापित की है। एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड 2025 बिहार को आंतरिक मत्स्य पालन के क्षेत्र में परिवर्तनकारी नेतृत्व, तेजी से विकास, सतत जलकृषि के माध्यम से ग्रामीण आजीविका सशक्तिकरण के लिए प्रदान किया गया है। यह सम्मान देश के कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान देने वाले राज्यों को दिया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को बिहार की ओर से पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान बिहार के मत्स्य कृषकों, विभागीय कर्मियों तथा सरकार के निरंतर प्रयासों का फल है, जिसने राज्य को मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है। मत्स्य कृषकों को प्रशिक्षण, अनुदान, तकनीकी सहायता तथा आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई, जिससे उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। एक समय था जब बिहार को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अन्य राज्यों से मछली का आयात करना पड़ता था, लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है।
बिहार अब मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है और अपनी मछली का निर्यात देश के विभिन्न राज्यों में कर रहा है। यह परिवर्तन न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है, बल्कि लाखों मत्स्य कृषकों की आजीविका को भी स्थायित्व प्रदान कर रहा है। बिहार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में मछली उत्पादन के क्षेत्र में 101 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करते हुए 9.5 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हासिल किया है।
यह पुरस्कार एग्रीकल्चर टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित 16वें एग्रीकल्चर लीडरशिप कॉन्क्लेव 2025 में प्रदान किया गया, जो नई दिल्ली में भव्य रूप से आयोजित हुआ। इस कॉन्क्लेव में देशभर से कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राज्यों, संस्थाओं और व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।